सब्सिडरी अलायन्स

पृष्ठभूमि

     आज हम सब्सिडरी अलायन्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। ब्रिटिश गवर्नमेंट कि वह पॉलिसी जिसमें उन्होंने एक तीर में एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन-तीन शिकार किए। सब्सिडरी अलायन्स के तहत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने।  बिना किसी युद्ध के बिना किसी खर्चा किए प्रिंसली स्टेट को अपने अधीन कर लिया. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के इस तरह के पॉलिसी को कुछ प्रिंसली स्टेट में इस तरह से स्वीकार कर लिया। जैसे वह अपने मोबाइल में पेटीएम की ऐप डाउनलोड कर रहे हो। इसके अलावा सब्सिडियरी एलाइंस के मदद से ब्रिटिश कंपनी ने अपने-अपने आर्मी को पूरे देश में फैला दिया और वह भी प्रिंसली स्टेट के खर्चे पर। मतलब रिक्रूटमेंट चल रहा है ब्रिटिश आर्मी का तथा उन्हें वेतन देने की जिम्मेदारी है हमारे राजाओं की तथा दूसरा शिकार बनी अन्य यूरोपियन कंपनी जैसे कि पोर्तुगीज डच फ्रेंच. जो भारत में रहकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ स्पर्धा कर रहे थे ब्रिटिशर सब्सिडरी अलायन्स के तहत ना कि उनकी पावर खत्म कर दी बल्कि तथा उनके ग्रो करने के सारे रास्ते बंद कर दिए यहां हमने एक छोटा सा इंट्रोडक्शन देखा है सब्सिडियरी एलाइंस क जिसमें हमने समझा कि यह कितनी पावरफुल तथा डिप्लोमेटिक क्वालिटी थी। सब्सिडियरी एलाइंस में यह कहावत काफी फिट बैठती है नमक लगे ना फिटकरी रंग चोखा का चोखा।

सब्सिडरी अलायन्स  की मुख्य बातें निम्नलिखित है।
सब्सिडरी अलायन्स की पॉलिसी सबसे पहले  फ्रांस  के गवर्नर डुप्ले द्वारा बनाई गई थी। डुप्ले अपनी आर्मी समय-समय पर राजाओ  को देता था तथा उसके बदले में उनसे किराया  वसूलता  था. अगर आज के समय में डूप्ले होता तो शायद हम भी इस सेवा का लाभ उठा रहे होते। सब्सिडरी अलायन्स डॉट कॉम  में लोगिन बनाकर। डुप्ले कि इसी पॉलिसी को कॉपी किया ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के रॉबर्ट क्लाइव ने। रॉबर्ट क्लाइव ने बक्सर युद्ध के बाद जोकि 1764 में लड़ा गया था तथा इसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई थी। बदले में रॉबर्ट  ने पहली बार अवध के नवाब  शुजा उद्दौला के साथ इलाहाबाद की संधि की थी। इस संधि के हिसाब से अवध के नवाब की सिक्योरिटी आने की सुरक्षा की जवाबदारी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने  कंपनी ले ली। सुरक्षा के बदले इस संधि के तहत अवध का नवाब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को रेगुलरली पर करते रहेगा कहने का मतलब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज अवध को सुरक्षा मुहैया कराएगी। इस  तरह, सुरक्षा के बदले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को शूजा उद्दौला पैसे देते रहेगा। इसके बाद सब्सिडियरी एलायंस का एक नया फॉर्म था यानी कि प्रकार था। उसे एक्चुअल में स्थापित किया लॉर्ड वेलेजली ने यानी कि सब्सिडरी अलायन्स  का जो विस्तार हुआ वह  वेलेजली के समय पर हुआ। लॉर्ड वेलेजली ने बंगाल के गवर्नर जनरल 1798 से 1895 तक रहा . उसने नोटिस किया कि इंडिया में ऐसे बहुत सारे  किंगडम है। जो सब आपस में लड़ते हैं और मरते हैं कुछ प्रिंसली स्टेट तो ऐसे हैं जो समृद्ध है लेकिन अपनी  सुरक्षा के लिए कुशल तथा आधुनिक सैनिकों की कमी है। तथा बहुत से राजा आसपास के राजाओं  युद्ध करते रहते हैं तथा लूटपाट करते हैं। लॉर्ड वेलेजली ने यह सब देखते हुए अपना सर खुजाया तथा  मिंटो फ्रेश खा कर उसे एक आइडिया सूझा तथा उसके दिमाग में यह आया कि इन राजाओं को मैं अपनी सब्सिडियरी एलाइंस पॉलिसी को बेच देता हूं। इस तरह से उन राजाओं  के राज्य को बिना युद्ध किए या बिना खर्चा किए अपने अधीन कर लेता हूं। इस आईडिया के साथ वह राजाओ से  मिलने लगा। उसने सब बातें विस्तार से समझाकर कहा कि देखो तुम्हारे ऊपर दूसरे राजा आक्रमण करते रहते हैं और इससे कुछ राजा डर गए। तथा डर के मारे सब्सिडियरी एलाइंस को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। क्योंकि लॉर्ड वेलेजली काफी चालाक तथा अपने बातों को काफी कुशलता से रखता था। इस तरह से कई राजा उसके झांसे में आ गए लेकिन सब्सिडी अलायंस के एग्रीमेंट के जो प्रोविजन थे वह काफी डिप्लोमेटिक थे।

सब्सिडियरी एलाइंस के तहत राजा को सुरक्षा के बदले ढेर सारा पैसा देना पड़ता था तथा  ब्रिटिश के कुशल तथा आधुनिक सैनिक उन्हें सुरक्षा प्रदान करता था। इसके अलावा राजा को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के खाने-पीने रहने का खर्चा भी वहन  करना पड़ता था।

  दूसरी प्रोविजन काफी खतरनाक थी क्योंकि यह प्रोविजन राजा के सार्वभौम या सोवेर्निटी पर सीधा वार करती थी इसके तहत प्रिंस्ली स्टेट का राजा बिना कंपनी के इजाजत के किसी अन्य राजाओ से किसी भी तरह का रिश्ता नहीं रख सकता था  अगर इस केस में जो भी कदम उठाना हैं उसे कंपनी से पहले पूछना पड़ता था.

इसका तीसरा प्रोविजन सीधे तौर पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को लाभ पहुंचाता था। तथा इस प्रोविजन से उन्होंने बड़े चालाकी से अन्य यूरोपियन कंपनी का हस्तक्षेप। प्रिंसली स्टेट के केस में मिटा दिया। क्योंकि इस प्रोविजन के तहत  इंडियन रूरल किसी अन्य यूरोपियन कंपनी के एक्सपर्ट को राज्य में नौकरी के लिए नहीं रख सकता था। इससे अन्य यूरोपियन कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।

चौथा प्रोविजन राजा के व्यक्तिगत निर्णयों पर हस्तक्षेप करता था इसके तहत राजाओ के दरबार तथा प्रत्तेक मीटिंग में अब से ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अधिकारी हमेशा मौजूद रहेगा भले ही वह चर्चा में भाग नहीं लेगा लेकिन वहा पर उसकी मौजूदगी अनिवार्य कर दी गयी. इसका असर यह हुआ की, राजा के गुप्त निर्णयों पर  भी कंपनी बारीकी से नज़र रख रही थी.
लॉर्ड वेलेजली ने एक के बाद एक कई प्रिंसली स्टेट से यह पॉलिसी साइन करवाई  लेकिन वहीं कुछ प्रिंसली स्टेट ऐसे भी थे जिसने वेलेजली के इस पॉलिसी को साइन करने से मना कर दिया। ऐसे वक्त वेलेस्ली ने जहा बातों से काम नहीं चला वहां उसने लात चला दी। यानी कि ऐसे प्रिंसली स्टेट जो साइन करने से राजी नहीं हुए वहां वह फोर्सफुली  पॉलिसी वह साइन करवाता था।  उदाहरण के तौर पर टीपू सुलतान  सब्सिडियरी एलाइंस साइन करने से मना कर रहा था। तो ऐसे वक्त। चौथे मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान को हराकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुदियार  को मैसूर का राजा बना दिया तथा उससे सब्सिडरी अलायंस साइन करवा दी। इसका मतलब चाहे कुछ भी हो आप को सबसे सब्सिडरी अलायंस साइन करना है यानि की करनाच  हैं. लेकिन इससे बिचारे राजाओं के सेल्फ डिफेंस के अधिकार भी खत्म हो चुके थे। दूसरे राजाओं के साथ किसी प्रकार का रिश्ता भी नहीं रख सकते थे। तथा हर काम को ब्रिटिशर से पूछ पूछ कर करना पड़ता था। नौकरी पर किसे रखें किसे नहीं, यह भी पूछना पड़ता था। अगर यह सब बातें सिर्फ पूछ कर करना पड़े तो काहे का राजा। 

1798 में इस सब्सिडरी अलायंस के तहत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी आर्मी मैसूर में भी तैनात कर दी। उसी वर्ष तंजौर में 1801 अवध में उसके बाद मराठा, उसके बाद मराठा भोंसले नागपुर वाले। उसके बाद सिंधिया ग्वालियर वाले। 1805 में होल्कर  इंदौर वाले यह सब मुख्य प्रिंसली स्टेट। सब्सिडियरी एलाइंस के लपेटे में आ चुके थे। इससे हमें पता चलता है कि नॉर्थ से साउथ सब्सिडियरी एलाइंस पॉलिसी के तहत ब्रिटिशर्स ने  अपनी आर्मी फैला दी थी। इससे ब्रिटिशर्स की पावर इंडिया में बहुत तेजी से बढ़ रही थी। यहीं पर हमारा  आर्टिकल समाप्त होता है। अगर आपको इसका वीडियो देखना है तो नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दी है। वहां जाकर आप यह वीडियो का आनंद उठा सकते हैं। धन्यवाद!

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