आज के आर्टिकल में हम वेव्हेल योजना 1945 के बारे में चर्चा करेंगे. वेव्हल ब्रिटेन आर्मी में 1941 से लेकर 1943 तक कमांडर इन चीफ थे. वर्ष 1943 में वेव्हल ने वॉसरॉय लार्ड लिनलिथगो का स्थान लिया.
लार्ड वेव्हेल का भारत में आगमन एवं सामने खड़ी चुनौतियां
जब लार्ड वेव्हल भारत के वोइसरॉय बने तब उनके आगे चार चुनौतियां थी जिससे उन्हें निपटना था. उनके वक्त भारत में छोडो भारत आंदोलन शुरू था. मोहम्मद अली जिन्ना अलग स्वतंत्र पाकिस्तान के मांग में अड़े थे जिस वजह देश में एक राजनैतिक डेडलॉक लग गया था. जबकि सुभाषचंद्र बोस ने जापान में इंडियन नेशनल आर्मी बनाकर नार्थ ईस्ट इंडिया में जापान के साथ भारत पर आक्रमण की तैयारी कर ली थी इसके अलावा बंगाल में अकाल पड़ गया था.
वेव्हेल एवं जनरल सेक्रेटरी की बातचीत
एक और लार्ड वेव्हल बंगाल के अकाल से निपटने के लिए योजना बना रहे थे साथ ही इंडियन मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस के बिच का विवाद निपटाने का भी उपाय सोच रहे थे. इसी सिलसिले में वर्ष 1945 में वे ब्रटिश सरकार को सुझाव देने खातिर लंदन को रवाना हो जाते हैं. वहाँ पहुंचकर वेवेल तत्कालीन सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट एलएस एमरी के साथ चर्चा करते हैं और उस चर्चा के आधार पर वे वेव्हल एक योजना बनाते हैं ताकी दोनों पार्टियों के बिच राजनैतिक डेडलॉक ख़त्म हो जाये और भारत पहुंचते के साथ उस योजना को घोषित करते हैं और इसी घोषणा को वेवेल प्लान के नाम से जाना जाता हैं.
वेव्हेल योजना के प्रस्ताव.
अपने पहले प्रस्ताव में वे वोइसरॉय के एग्जीक्यूटिव कौंसिल की पुनर्गठन का प्रस्ताव रखते हैं लेकिन बदले में वे भारत की सभी राजनैतिक पार्टियों का द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन की शर्त रखते हैं.
1) वोइसरॉय की एग्जीक्यूटिव कौंसिल की संख्या बढाकर चौदा करने का प्रस्ताव इस प्लान में रखा जाता हैं.
2) वोइसरॉय के एग्जीक्यूटिव कौंसिल में हिन्दू तथा मुस्लिम को समान प्रतिनिधित्व दिया जायेगा.इसके अलावा सिख तथा डिप्रेस क्लासेस को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जायेगा.
3) वोइसरॉय की कौंसिल में वोइसरॉय तथा कमांडर इन चीफ को छोडकर सभी सदस्य भारतीय होने का प्रस्ताव रखा गया मतलब भारत का डिफेंस ब्रिटिश के अधिकार में होंगा.
4) वेवेल प्लान में वोइसरॉय को वीटो पावर दी गयी याने वे एग्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्यों का निर्णय ख़ारिज कर सकते थे किन्तु यह बात स्पष्ट रूप से बताया गया वीटो पावर का उपयोग वे न के बराबर करेंगे.इस प्रस्ताव में मुस्लिम समुदाय को एक बड़ा कन्सेशन मिला था क्योंकि अखंड भारत में मुस्लिम जनसँख्या केवल 25 प्रतिशत था किन्तु उन्हें समान प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया.
5) इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया की अगर यह योजना केंद्र सरकार में अमल हो जाती हैं तो समान योजना वे प्रांतो में लागू करेंगे.
शिमला कांफ्रेंस.
शिमला कांफ्रेंस 25 जून 1945 को होता हैं जहां सभी पार्टिया के सदस्य जमा होते हैं लेकिन उस समय सभी नेता छोडो भारत आंदोलन के चलते जेल में होते हैं तो सबसे पहले वोइसरॉय उनको रिहा करते हैं ताकी सभी नेता कांफ्रेंस में शामिल हो सके.
शिमला कांफ्रेंस में वेवेल 21 नेताओ को न्योता देते हैं जिसमें गांधीजी तथा जिन्ना भी थे किन्तु यह वेवेल योजना भी असफल हो जाती हैं क्योंकि लीग तथा कांग्रेस को वेवेल प्लान पसंद नहीं आता.
वेव्हेल योजना पसंद ना आने के कारण
जिन्ना मांग करते हैं की एग्जीक्यूटिव कौंसिल मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम लीग करेगी लेकिन उनकी यह मांग ख़ारिज की जाती हैं. इसके अलावा वे मुस्लिम लीग के लिए वीटो पावर की मांग करते हैं किन्तु यह असंभव और अतार्किक मांग थी और कांग्रेस इसके लिए राजी नहीं थी क्योंकि मुस्लिम लीग की जनसँख्या केवल 25 प्रतिशत थी फिर भी उन्हें बराबरी का प्रतिनिधित्व दिया जा रहा था.तो ऐसे में एक्स्ट्रा वीटो पावर की कोई जरुरत नहीं थी.इन सब विवादों में फसकर वेवेल प्लान असफल हो जाता हैं. यह थी कहानी वेवेल प्लान की धन्यवाद.
Priyanka Bharti
20 May 2020Sir ,it really very helpful for students of political science.Thankyou very much sir,
Priyanka Bharti
20 May 2020It’s very helpful and informative vedio … for thestudents of history and also for non history students…
Indrajeet
7 Mar 2021Sir i appreciate your efforts
Now I expect that soon geography will also be included