प्रस्तावना
आज का आर्टिकल लॉर्ड डलहौजी पर आधारित है। लॉर्ड डलहौजी को फाउंडर ऑफ़ इंडिया कहा जाता है. लॉर्ड डलहौजी भारत के गवर्नर जनरल रहे 1848 से लेकर 1856 तक। लॉर्ड डलहौजी भारत के यंगेस्ट गवर्नर जनरल थे । इनके कार्यकाल में एक तरफ भारत में मॉर्डनाइजेशन हुई वह भी काफी तेजी से जबकि एक तरफ इन्होंने अपने एनेक्सेशन पॉलिसी के तहत देश में क्रोध की ज्वाला भड़का दी थी। एनेक्सेशन पॉलिसी के अंतर्गत डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स भी आती थी इसके बारे में हमने पिछले आर्टिकल में विस्तार से चर्चा की। हम इस आर्टिकल में पढ़ेंगे लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में हुए टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट यानी कि तकनीकी सुधार दूसरा एडमिनिस्ट्रेशन याने कि प्रशासनिक सुधार, सोशियल यानी कि सामाजिक सुधार । शैक्षणिक यानी कि एजुकेशनल रिफॉर्म। साथी डलहौजी की पॉलिसी ऑफ अनेक्सशन.
टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट याने की तकनिकी प्रगति.
डलहौजी के कार्यकाल में भारत में पहली बार पैसेंजर ट्रेन लाई गई वर्ष 1853 में। उसके कार्यकाल में भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन मुंबई से लेकर थाने तक चली थी। इसमें तीन लोकोमोटिव इंजन थे। जिसका नाम रखा गया साहिब सुल्तान तथा सिंध. इसे पहली बार कुल 400 यात्रियों ने सफर किया था। तथा यह दूरी थी 43 किलोमीटर। पटरियों की की चौड़ाई थी 5 फीट 3 इंच तथा आज भी यही चौड़ाई उपयोग में लाई जाती है। समझने वाली बात यह है कि दुनिया की पहली ट्रैन अट्ठारह सौ पच्चीस में चली तथा इसी के 28 साल बाद वही टेक्नोलॉजी भारत में आ गई। जबकि तब भारत एक गुलाम देश था। लेकिन अगर इस स्थिति को हम आज के भारत में कंपेयर करें तो वर्ल्ड की बुलेट ट्रेन दुनिया में पहली बार 1964 में चली थी। तथा इस इवेंट को 55 साल पूरे हो गए हैं। लेकिन पहले बुलेट ट्रेन का इंतजार आज भी भारत देश में हो रहा है। भारत की पहली बुलेट ट्रेन 15 अगस्त 2022 को चलेगी।
पोस्ट ऑफिस।
लॉर्ड डलहौजी के काल में ही पोस्ट ऑफिस की स्थापना की गई। उसी के कार्यकाल में एक पोस्ट ऑफिस एक्ट पारित किया गया। तथा पहली बार पोस्टेज स्टैंप जारी किए गए। साथी सारी कंट्री के लिए एक सेंट्रल पोस्टल डिपार्टमेंट बनाया गया। जो कि ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए एक बहुत बड़ा सोर्स ऑफ रेवेन्यू याने की राजस्व का हिस्सा बन गया. आम लोगों को भी इससे काफी लाभ पहुंचा। इसका भी क्रेडिट लॉर्ड डलहौजी को जाता है।
साथ ही लॉर्ड डलहौजी के काल में मुंबई तथा कोलकाता पोर्ट यानी कि बंदरगाहों को आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया। लॉर्ड डलहौजी कार्यकाल में 1852 में इलेक्ट्रॉनिक टेलीग्राफ को लाया गया। यह बहुत ही बड़ा डेवलपमेंट था । क्योंकि टेलीग्राफ के माध्यम से आप तुरंत अपना मैसेज दूसरे को भेज सकते थे। उस टाइम टेलीफोन की व्यवस्था तो थी नहीं। इसलिए टेलीग्राफ मीडियम एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिस्टम था। टेलीग्राफ लाइन को यानी कि तार यंत्रणा को कोलकाता से लेकर आगरा तक जोड़ा गया था।
एडमिनिस्ट्रेटिव यानी कि प्रशासनिक सुधार।
लॉर्ड डलहौजी के कमान संभालने से पूर्व सारे पब्लिक कंस्ट्रक्शन, मिलिट्री के सैनिकों से कराए जाते थे। यानी कि ब्रिज बनाना, सड़क बनाना, रेल की पटरियों की मरम्मत करवाना हो तो मिलिट्री के सैनिकों से ही मजदूरी कराई जाती थी। यह समझा जा सकता है कि सोल्जर की हालत क्या हो जाती होगी. लेकिन डलहौजी ने आकर इस परिस्थिति को चेंज कर दिया उसने पब्लिक कंस्ट्रक्शन के लिए एक नया डिपार्टमेंट शुरू किया। जिसे पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट कहा जाता है इसका long-form है पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट। यह डिपार्टमेंट आज भी मौजूद है। तथा आज भी रोड पब्लिक बिल्डिंग, ब्रिजेज़ का काम पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ही करता है। इसके अलावा लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में गोरखा रेजिमेंट का गठन किया गया तथा शिमला को परमनेंट आर्मी हेड क्वार्टर बनाया गया।
सामाजिक यानी कि सोशियल और शैक्षणिक याने की एजुकेशन रिफॉर्म।
लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में एक बहुत ही बड़ा एजुकेशन में बदलाव लाया गया उसी के कार्यकाल में वुड डिस्पैच लाया गया। जिसे एजुकेशन का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है। मैग्नाकार्टा का मतलब होता है अधिकारिक तौर पर शुरुआत। इस वुड डिस्पैच के चलते ही भारत में लंदन के मॉडल पर विद्यापीठ की याने की यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई सरकारी स्कूल खोले गए वुड डिस्पैच का डिटेल वीडियो बनाया गया है आप उसे देख सकते हैं।
लार्ड डलहौजी के कार्यकाल में एक बदलाव और किया गया की 1853 में सिविल सर्विसेज की भरतिया प्रतियोगी परीक्षाओ के माध्यम से होने की शुरुआत की गयी लेकिन यह परीक्षा केवल लंदन में आयोजित की जाती थी. इसके पहले सिविल सर्विसेस ऑफिसर वही बन सकते थे जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी नॉमिनेट यानी कि नामांकित करती थी। लेकिन 1853 से सिविल सर्वेंट बनने के लिए सिविल सर्विस एग्जाम पास करना जरुरी हो गयी थी. भारत के पहले सिविल सर्वेंट जिन्होंने यहां परीक्षा पास की थी उनका नाम था सत्येंद्र नाथ टैगोर जो रविंद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई थे तथा इन्होंने एग्जाम पास करने के बाद 30 साल तक सर्विस की मुंबई प्रेसिडेंसी में। लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में ही विडो रीमैरिज एक्ट यानी कि विधवा पुनर्विवाह 1856 कायदा पास किया गया इस एक्ट के तहत भारतीय महिलाएं विधवा होने के बाद भी पुनर्विवाह कर सकती थी। इसके अलावा लॉर्ड डलहौजी ने फीमेल इन्फैंटिसाइड याने की बच्ची पैदा होने के साथ मार देने को गुनाह बना दिया.
एनेक्सेशन पॉलिसी
लॉर्ड डलहौजी के एनेक्सेशन पॉलिसी के बारे में बात करेंगे, लॉर्ड डलहौजी एक विस्तारवादी गवर्नर जनरल था उसमे बर्मा यानि की आज के म्यांमार को एनेक्स कर लिया था इसके अलावा एंग्लो सीख युद्ध के बाद पंजाब को भी ब्रिटिश प्रेसिडेंसी का भाग बना दिया। इसके अलावा उसने डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स भी लाया तथा सातारा जैतपुर करौली झांसी नागपुर जैसे मुख्य राज्यों को ब्रिटिश राज्य में शामिल कर लिया। इस टॉपिक पर आर्टिकल तथा वीडियो मौजूद है आप इसका लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा डलहौजी ने अवध को भी हड़प लिया था यह कह कर कि नवाब अच्छे से राजपाट नहीं संभाल रहा है। अवध वही स्टेट है जिसे बक्सर युद्ध के बाद ब्रिटिश ने प्रोटेक्शन याने की सुरक्षा दी थी। बक्सर का आर्टिकल तथा वीडियो मौजूद है आप इसका भी लाभ ले सकते हैं लार्ड डलहौजी 1856 में लंदन चला गया तथा उसके बाद 1857 का उठाव हुआ जिसके कई कारणों में से डलहौजी की अनेक्सशन पालिसी भी जिम्मेदार रही. धन्यवाद!
Justin
23 Mar 2020Long time supporter, and thought I’d drop a comment.
Your wordpress site is very sleek – hope you don’t mind me asking what theme you’re using?
(and don’t mind if I steal it? :P)
I just launched my site –also built in wordpress like yours– but the theme
slows (!) the site down quite a bit.
In case you have a minute, you can find it by searching for “royal cbd”
on Google (would appreciate any feedback) – it’s still in the
works.
Keep up the good work– and hope you all take care of yourself during the coronavirus scare!