माउंट बेटन प्लान 1947

आज के आर्टिकल में हम माउंट बेटन प्लान के बारे में पढ़ेंगे, ब्रिटेन में लेबर पार्टी की जीत के बाद क्लेमण्ट एटली ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने.

भारत के आजादी की घोषणा

प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने हाउस ऑफ़ कॉमन में 23 फ़रवरी 1947 को घोषणा करदी की उनकी सरकार 3 जून 1948 के पहले भारत को आजादी देकर भारत छोड देंगे.

21 फ़रवरी 1947 को वेवेल की जगह वाइसराय का पदभार लार्ड माउंट बेटन को मिलता हैं. पदभार संभालने के बाद वे 3 जून 1947 को एक प्रस्ताव पेश करते हैं जिसे माउंट बेटन प्लान के नाम से जाना जाता हैं और तीन जून के योजना के नाम से भी जाना जाता हैं.

विभाजन के बारे में विस्तार से जानकारी

माउंटबेटन प्लान में भारत के विभाजन को आधिकारिक तौर पर मान्यता दि जाती हैं. 15 अगस्त को यह विभाजन किया गया. इस योजना के तहत बंगाल को दो टुकड़ो में बांटा गया जिसके तहत पूर्वी बंगाल को पाकिस्तान के हवाले किया गया तथा पश्चिमी बंगाल को भारत के हवाले कर दिया गया. यह विभाजन इसलिए किया गया क्योंकि पूर्वी बंगाल मुस्लिम बहुल इलाका था जबकि पश्चिम बंगाल में हिन्दू तथा सिख बड़े पैमाने में थे. लोकसंख्या के अनुपात में यह विभाजन किया गया था. बॉर्डर निर्धारित करने के लिए सर रेड क्लिफ के अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था जिसने बंगाल एवं पंजाब की बॉर्डर निर्धारित की थी. जैसे ईस्ट पंजाब वेस्ट पंजाब और वैसेही ईस्ट बंगाल और वेस्ट बंगाल.

नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस के लिए और आसाम के लिए जनमत संग्रह का सहारा लिया गया वैसे आसाम सियलेट का भाग था.जनमत संग्रह कराने के बाद जनता ने पाकिस्तान में शामिल होने के लिए मतदान किया इस तरह यह दोनों भाग पाकिस्तान में चले गए.

नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस के नेता खान अब्दुल गफ्फार खान थे इनके संगठन का नाम खुदाई खिदमतगार था जो लाल रंग के कपड़े पहनते थे इसलिए वे लाल शर्ट के नाम से भी जाने जाते थे. खान अब्दुल गफ्फार खान, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस के जनमत संग्रह के सख्त खिलाफ थे. जिस वजह से उस प्रोविंस के बहुत से जनता ने जनमत संग्रह के मतदान में भाग नहीं लिया इस प्रोविंस के केवल 15 प्रतिशत लोगो ने हिस्सा लिया.

पाकिस्तान में शामिल प्रोविंस

बलूचिस्तान,सिंध,नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस, ईस्ट बंगाल,वेस्ट पंजाब तथा सियलेट मिलकर पाकिस्तान बना. उस समय भारत में 563 से रिसायत थी जिन्हे माउन्ट बेटन योजना के तहत आजाद कर दिया गया था. मतलब रिसायतों के पास तीन विकल्प थे या तो वे भारत, या पाकिस्तान में शामिल हो जाये, या फिर स्वतंत्र रहे. गौरतलब इन 563 देसी रिसायतों में से 560 रिसायतों ने आजादी के पहले भारत के साथ इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन साइन कर लिया था. किन्तु तीन रिसायत अब भी साइन करने के लिए राजी नहीं थी. यह तीन रीसायते थी कश्मीर,जूनागढ़ तथा हैदराबाद. इसके साथ ही 15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हो गया.

जूनागढ़ भारत में शामिल.

जूनागढ़ गुजरात में था वहाँ के राजा मुस्लिम थे जिनका नाम मुहम्मद महाबात खानजी तृतीय था. किन्तु जूनागढ़ के प्रजा में हिन्दू मेजोरिटी में थे. 15 सितम्बर 1947 में खानजी ने जिन्ना के साथ इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन साइन किया था. किन्तु हिन्दू आबादी ने इसका विरोध किया जिसके चलते भारत सरकार ने जनमत संग्रह कराया परिणामस्वरूप 99 प्रतिशत जूनागढ़ वासियो ने भारत में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया. 20 फ़रवरी 1948 को जूनागढ़ भारत में शामिल हो गया.

हैदराबाद भारत में शामिल

हैदराबाद की रिसायत सबसे बडी रिसायत थी जो भारत के मध्य स्थित थी एक प्रकार से हैदराबाद भारत का दिल था. यहाँ के राजा मुस्लिम थे जिनका नाम उस्मान अली खान था लेकिन यहाँ की 80 प्रतिशत जनता हिन्दू थी लेकिन न तो वे भारत में या, ना तो वे पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे असल में वे स्वतंत्र रहना चाहते थे. उनके पास सेना भी थी जिसे रजा खान हेड कर रहे थे उनको लगा हम दोनों देशो की सेनाओ से निपट लेंगे किन्तु सरदार पटेलजी ने आर्मी ऑपरेशन के जरिये हैदराबाद रिसायत को सितम्बर 1948 को भारत में शामिल करवा लिया इस एक्शन का नाम ऑपरेशन पोलो था.

जम्मू कश्मीर भारत में शामिल.

जम्मू कश्मीर में हरिसिंग नाम के हिन्दू राजा राज कर रहे थे तथा यहाँ की जनता मुस्लिम मेजोरिटी थी. हरिसिंग स्वतंत्र रहना चाहते थे. पाकिस्तान ने भी भारत की तरह आर्मी ऑपरेशन के जरिये इसे अपने हवाले करने के लिए आक्रमण किया किन्तु 26 अक्टूबर 1947 के दिन कश्मीर के राजा हरिसिंग ने भारत के साथ इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन साइन किया. समझौता होने के बाद भारतीय सेना तथा पाकिस्तानी सेना के बिच युद्ध हुआ.लेकिन युद्ध विराम लगने तक जितने जगह तक पाकिस्तान सेना पहुंच चुकी थी उसे पाकिस्तान अधिग्रहीत कश्मीर कहा जाता हैं याने POK वह पाकिस्तान के कब्जे में चला गया.

21 जून 1948 तक लार्ड माउंट बेटन भारत के गवर्नर जनरल रहे. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान बने तथा गवर्नर जनरल जिन्ना थे. भारत के प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहरलाल नेहरू. माउंट बेटन प्लान में एक और बात स्पष्ट की गयी थी की ब्रिटेन के राजा भारत के एम्परर की उपाधि का प्रयोग नहीं करेंगे. हालांकि यह उपाधि उन्होंने 22 जून 1948 को छोड़ी थी.

This Post Has 3 Comments

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