Background
१४८८ में केप ऑफ़ गुड होप की खोज हुयी इसके साथ यूरोप से भारत तथा अन्य देशो के साथ एक समुद्री मार्ग स्थापित हो गया. यूरोपियन कंपनी ने तुरंत इस समुद्री मार्ग के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया. चूकी केप ऑफ़ गुड होप को बर्तोलोम्यू डायस ने खोजा था जो एक पुर्तगाली एक्स्प्लोरर था तो शुरुआत में इस समुद्री मार्ग को सबसे पहले पुर्तगाल कंपनी ने प्रयोग करना शुरू किया. इसके बाद अन्य यूरोपियन व्यापारी कंपनियों ने इस समुद्री मार्ग के माध्यम से व्यापार करना शुरू कर दिया.
Formation of East India Company
अब बाकि कम्पनियो का देखा-देखि ३१ दिसंबर १६०० को ब्रिटेन के व्यापारियों ने एक कंपनी बनायीं जिसका नाम था Governor and Company of Merchants of London Trading into the East इंडीज मतलब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी.इंडिया और दूसरी ईस्टर्न देशो के साथ व्यापर करने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को ब्रिटेन की महारानी की आज्ञा चाहिए थी इसलिए वे महारानी के पास पहुंचे तथा उन्हें बताया की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी किस प्रकार समुद्री मार्ग का उपयोग करके, व्यापर करते हुए मुनाफा कमा सकती हैं. इसलिए रानी ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को चार्टर जारी करते हुए केप ऑफ़ गुड होप के ईस्टर्न भूभाग में १५ वर्षो के लिए व्यापार करने के लिए एकाधिकार दे दिया.
अब ईस्ट इंडिया कंपनी हैं तो एक कंपनी, इसमें बहुत सारे अधिकारी थे तथा क्लर्क थे. क्लर्क जो रिपोर्ट करते थे एक गवर्नर को और यह गवर्नर रिपोर्ट करता था कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स को जिसमे २४ डायरेक्टर्स होते थे, जिन्हे नियुक्त किया जाता था कोर्ट ऑफ़ प्रोप्राइटर द्वारा.
Arrival of East India Company in INDIA
कंपनी रजिस्टर्ड हो चूकी थी, व्यपार के लिए आज्ञा मिल चूकी थी. लेकिन फिर भी भारत में प्रवेश करने के लिए कंपनी को ८ वर्ष का समय लग गया. याने १६०० में स्थापित होने के बावजूद कंपनी भारत में १६०८ में पहुंची इसका कारन था दूसरे यूरोपियन देशो की जो व्यपारी कंपनी थी खासकर पोर्तुगीज ईस्ट इंडिया कंपनी जो भारत में पहले से पहुंच चूकी थी. पोर्तुगीज ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं चाहती थी कोई भी कंपनी आकर उनसे स्पर्धा करे या कम्पटीशन करे इसलिए इन समुद्री मार्गो पर ही इनकी आपस में लड़ाई -झगड़े होते रहते थे. आख़िरकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे तैसे सूरत पहुँच गयी यहाँ पर आकर उन्हें समझ में आया भारत तक पहुंचना ही काफी नहीं था बल्कि अगली चुनौती उनकी इंतज़ार कर रही हैं.
Challenges in India
चुनौती यह थी की भारत में मुघलो का शासन हैं और अगर व्यापार में मुनाफा कमाना हैं तो मुघलो को भी खुश रखना जरुरी हैं. १६०८ में मुघलो का शासक जहाँगीर था. तथा ब्रिटेन में रानी एलिज़ाबेथ की १६०३ में मृत्यु हो चूकी थी इसलिए ब्रिटेन में जेम्स फर्स्ट का शासन था, तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने बताया की भारत में जहाँगीर का शासन हैं जो की मुग़ल हैं, और वह उन्हें फैक्ट्री लगाने की अनुमति नहीं दे रहा हैं. अगर फैक्ट्री नहीं लगेगी तो भारत में व्यपार नहीं कर पाएंगे. जेम्स फर्स्ट ने कहा बेटा तुम व्यापार करने में ध्यान दो यह चीज़े मुझ पर छोड़ दो फैक्ट्री की अनुमति तो इसका बाप भी देगा.
Permission to Setup Factory in India
१६१५ में जेम्स फर्स्ट ने जहाँगीर के दरबार में एक डेलिगेशन भेजा इस डेलिगेशन को लिड कर रहे थे सर थॉमस रो. थॉमस रो कसम खाकर आया था की जहाँगीर को अपने मुट्ठी में कर लेंगा इसप्रकार से वह जहाँगीर दरबार में कुछ दिनों के लिए रहना शुरू कर दिया जहाँगीर को उसने हर तरह से ब्राइब करने की कोशिश की याने घुस देने की कोशिश की, जो भी जहाँगीर को पसंद था वह हर सेवाएं उस तक पहुचायी. यूरोप की बढ़िया से बढ़िया चीज़े उस तक पहुचायी. आखिकार जहाँगीर को इम्पोर्टेड चोजी की ऐसी लत लगा दी की १६१५ में जहाँगीर ने कंपनी को जहां चाहे वहाँ फैक्ट्री लगाने की अनुमति दे डाली.अगर कोई परेशान करता हो तो मुझे आकर बता दो बदले में रॉयल फैसिलिटी चलते रहना चाहिए.जहाँगीर ने जेम्स फर्स्ट को पत्र लिखा की आपका रॉयल लव मिलता रहना चाहिए आपके कंपनी को किसी भी तरह से देश में तकलीफ होने नहीं दूंगा, (पत्र विकिपीडिआ में मौजूद हैं आप चाहे तो पढ़ सकते हैं)
इस तरह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी व्यापारी कम्पनिया खोलना भारत में शुरू कर दिया. १६१९ में सूरत में अपनी फैक्ट्री खोली.१६३९ मद्रास, १६६८ मुंबई में.१६९० कलकत्ता.
ब्रिटिशर्स कॉफ़ी तथा पर्शियन घोड़ो का व्यापार करते थे तथा भारत से लेकर जाते थे कॉटन एवं सिल्क के कपडे साथ में साल्ट पीटर भी. भारत साल्ट पीटर का विश्वसनीय सप्लायर था. साल्ट पीटर गन पाउडर बनाने का एक महत्वपूर्ण घटक हैं तथा पुरे यूरोप को इसकी जरुरत थी.
१६४७ आते आते ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में २३ फ़ैक्टरिया स्थापित कर दी. ब्रिटिशर इन फैक्ट्रियो को गोदामों के तरह प्रयोग करते थे, जहा व्यापार का सारा माल रखा जाता था. लोग यहाँ रहते भी थे. साथ में फैक्ट्री के सिक्योरिटी गार्ड भी थे. इन २३ फैक्टरियों में ३ बड़ी तथा प्रसिद्ध फ़ैक्टरिया थी यह फैक्ट्रीज कम, किले ज्यादा थे. फोर्ट विलियम (बंगाल), फोर्ट एस टी जॉर्ज( मद्रास), तथा बॉम्बे में बॉम्बे कासल.
Establishment and growth of East India Company’s power in INDIA
इसके बाद फरकुसियर (१७१३-१७१९) ने ब्रिटिशर्स की कस्टम ड्यूटी माफ़ कर दी इसप्रकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में धड़ा धड़ पैसा छापना शुरू कर दिया लेकिन अब तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यपारिक कंपनी ही थी लेकिन प्लासी तथा बक्सर युद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापारिक कंपनी से एक पोलिटिकल याने राजनैतिक कंपनी बन बैठी जिसके बाद लगभग १५० वर्ष भारत को पूरी तरह कंगाल करते हुए शासन किया.