प्लासी का युद्ध १७५७

पृष्ठभूमि

     आज का आर्टिकल प्लासी के युद्ध के बारे में हैं इस युद्ध ने ईस्ट इंडिया कंपनी को एक पॉलीटिकल पावर बना दिया था। जैसे की हम सभी जानते हैं मुग़ल शासन की शुरुआत की थी बाबर ने। उसके बाद हुमायूं ने राजगद्दी संभाली बाद में सम्राट अकबर उसके के बाद आया जहांगीर। जहाँगीर चौथा मुग़ल सम्राट था । यह वही समय था जब ब्रिटिश कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के मंशा से आई थी।जहाँगीर के समय वर्ष १६०८ में  ब्रिटिश एंबेसडर सर थॉमस रो भारत आया और अलग अलग तरीके से घूस तथा तोहफे देने की कोशिश की तथा जहाँगीर का दिल जितने की कोशिश की ताकि ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में अपने अपनी व्यापारिक कोठिया याने की फैक्ट्रीज  स्थापित करने की इजाजत मिल सके । कुछ ही समय में थॉमस रो जहांगीर का एक खास आदमी बन गया। जिस वजह से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार करने तथा फैक्ट्री जिसे हिंदी में व्यापारी कोठी कहते हैं स्थापित करने की जहाँगीर द्वारा अनुमति मिल गई। यह पहली बाधा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1616 में पार कर लिया था। परिणामस्वरूप, वर्ष 1647 आते-आते ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में 23 फैक्ट्रियां याने की व्यापारिक कोठिया देश के अलग-अलग जगहों पर  स्थापित कर ली।

जहाँगीर के बाद बंगाल में घटित महत्वपूर्ण घटनाये

               जहांगीर के बाद शाहजहां मुगल मुगल सम्राट बना। शाहजहां के बाद औरंगजेब मुगल सम्राट बना। औरंगजेब के समय में फ्रांस की फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी भी भारत में आ चुकी थी । उनको भी फैक्ट्री लगाने की अनुमति मिल गई थी। औरंगजेब के समय में बंगाल को लेकर एक निर्णय लिया गया, औरंगजेब ने मुर्शीदकुली खान को बंगाल का दीवान बना दिया। उस समय का बंगाल एक बहुत ही बड़ा प्रांत था। उस समय बंगाल बिहार, उड़ीसा, आज का पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से मिलकर बना था। उस समय बंगाल की राजधानी ढाका थी।  लेकिन मुर्शीदकुली खान ने ढाका से राजधानी शिफ्ट करते हुए मुर्शिदाबाद को बंगाल की राजधानी बना दी। औरंगजेब ने 1658 से लेकर 1707 तक गद्दी संभाली। औरंगजेब के बाद बहादुर शाह ने गद्दी संभाली। बहादुर शाह के बाद जहान्दर शाह सम्राट बना।  उसके बाद फारुख सियार की ताजपोशी हुई। फारूक सियार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के टैक्स (कर) माफ कर दिए तथा अंग्रेजो को दस्तक जारी कर दिया जिस वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी को कस्टम ड्यूटी न चुकाने की छूट थी. फारूक सियार ने मुर्शीदकुली खान को बंगाल का नवाब बना दिया। मुर्शीदकुली खान बंगाल से मिलने वाला रेवेन्यू याने की राजस्व मुगल सम्राट के साथ शेयर करते रहता था। फारूक सियार के बाद मुगलों का बंगाल से पूरी तरह नियंत्रण चला गया। मतलब बंगाल एक स्वतंत्र राज्य बनता जा रहा था। 1727 में मुर्शीद कुली खान ने अपने दामाद को बंगाल का नवाब बना दिया उसका नाम शूजाउद्दीन मोहम्मद खान था। जिसने 1727 से लेकर 1739 तक बंगाल की राजगद्दी संभाली। शूजाउद्दीन का एक महत्वपूर्ण सैनिक था जिसका नाम अलीवर्दी खान था शूजाउद्दीन ने  अलीवर्दी खान का  कौशल देखते हुए उसे जल्दी ही आर्मी का जनरल बना दिया। और उसके कुछ समय बाद अली वर्दी खान को बिहार का डेप्युटी सूबेदार भी बना दिया। शूजाउद्दीन के बाद सरफराज खान बंगाल का नवाब बना। अलीवर्दी खान एक डेप्युटी सूबेदार बनकर नहीं रहना चाहता था।  अलीवर्दी खान ने बैटल ऑफ गिरिया में  में सरफराज खान को मार गिराया। तथा इस प्रकार खुद बंगाल का नवाब बन बैठा।

सिराजुद्दौला बंगाल का शासक तथा ईस्ट इंडिया कंपनी की षड्यंत्रकारी गतविधियां

     अलीवर्दी खान १७५६ तक बंगाल का नवाब रहा। उसकी  मृत्यु हो जाने के बाद सिराजुद्दौला नवाब बना जो अली वर्दी खान का नाती था। जब सिराजुद्दौला ने बंगाल की  राजगद्दी संभाली तब उसने देखा कि ब्रिटिश किलेबंदी कर रहे हैं। उसने देखा ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल के फोर्ट विलियम की किलेबंदी कर रही है। किलेबंदी करने की वजह जानने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि उस समय यूरोप में क्या हो रहा था? असल में उन दिनों यूरोप में से सेवन ईयर वॉर शुरु हो चुका था। याने ब्रिटेन और फ्रांस युद्ध के लिए आमने-सामने खड़े थे। उन्हें डर था कि फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी उनके किले में आक्रमण कर सकती है इसके अलावा मराठा आर्मी बंगाल में आक्रमण करते रहते थे। इसलिए सुरक्षा कारणों के चलते कंपनी अपने किले की किलेबंदी कर रही थी । ताकि उनकी फैक्ट्री सुरक्षित रहे। लेकिन सिराजुद्दौला को ईस्ट इंडिया कंपनी की एक भी  कार्यवाही सही नहीं लग रही थी। उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को स्पष्ट रूप से चेतावनी दे दी की आप लोग मेरे राज्य में  किलो की किलेबंदी नहीं कर सकते। सिराजुद्दौला को यह बात भी समझ में आई कि फ्रांस और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल में बहुत पैसा कमा रहे हैं. ईस्ट इंडिया कंपनी दस्तक का दुरपयोग करके निजी व्यापारियों को भी इसका लाभ पंहुचा रही हैं । इसलिए सिराजुद्दौला यह सब चीज़े अपने  नियंत्रण में लाना चाहता था. साथ ही वह  ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से टैक्स वसूल करना चाहता था। क्योंकि फारूक सियार का दौर जा चुका था। अब बंगाल जो है सिराजुद्दौला के अधीन था। इसलिए सिराजुद्दौला ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधियों को अपने दरबार में बुलाया। और उनसे कहा कि आपको अब टैक्स देना पड़ेगा। आप जो किलेबंदी कर रहे हो उसे रोकना पड़ेगा। वरना वह कड़ा रुख अख्तियार करेगा।

ब्लैक हॉल ट्रेजेडी

फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिराजुद्दौला की बात मान ली। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी यह बात मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिराजुद्दौला के बात को मानने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप सिराजुद्दौला ने फोर्ट विलियम किले में आक्रमण कर दिया। जिस वजह से बहुत सारे अंग्रेज किल्ला छोड़कर भाग खड़े हुए। लेकिन 146 लोग किले में पकड़े गए। जिसमें बच्चे और औरतें भी थी। उन्हें फोर्ट विलियम के एक छोटे से कमरे में पकड़कर बंद कर दिया गया। अगले दिन जब दरवाजा खोला गया तो १४६ में से केवल 23 लोग जिंदा बचे थे। बाकी लोग दम घुटने से मर गए। इस घटना को ब्लैक हॉल घटना के नाम से जाना जाता है।

सिराजुद्दौला तथा रोबर्ट क्लाइव के बिच प्लासी का युद्ध

 सिराजुद्दौला ने फोर्ट विलियम को अपने कब्जे में ले लिया। जो लोग बच कर भाग खड़े हुए थे उन्होंने रॉबर्ट क्लाइव को सूचना दी। रॉबर्ट क्लाइव उस समय मद्रास में था । रॉबर्ट क्लाइव ३००० पैदल फ़ौज  लेकर बंगाल के तरफ निकल पड़ा । साथ ही एडमिरल वाटसन ने अपने तीन पानी के जंगी जहाज से बंगाल के पोर्ट में बोम्बार्डिंग कर दिया। सिराजुद्दीन रॉबर्ट क्लाइव का सामना नहीं कर पाया  बदले में उसे पीस ट्रीटी साइन करनी पड़ी। जिसे अलीनगर ट्रीटी से जाना जाता है। इसका नाम अलीनगर  ट्रीटी नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ब्लैक हॉल  ट्रेजेडी के बाद सिराजुद्दौला ने कोलकाता का नाम अलीनगर रख दिया था। इस ट्रीटी  के तहत फोर्ट विलियम ब्रिटिश को वापस मिल गया।  इस संधि के तहत तहत फारूक सियार ने अंग्रेजों को जो करो में छूट दी थी वह सब मानना पड़ेगी। साथ ही  इस संधि के तहत ब्रिटिशर्स खुद के सिक्के निकाल सकते हैं। अपने किले बना सकते हैं। और बंगाल में अपनी आर्मी भी रख सकते हैं। लेकिन यह ट्रीटी (संधि) ज्यादा देर तक पीस नहीं रख पाई।  क्लाइव ने यह तय कर लिया था कि वह सिराजुद्दौला को बंगाल में नवाब ज्यादा देर तक नहीं रहने देगा। रोबर्ट क्लाइव एक चालक तथा कूटनीतिक व्यक्ति था उसने बड़े चालाकी से सिराजुद्दौला के commander-in-chief मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया। इसके बाद रोबर्ट क्लाइव ने फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के चंद्रनगर  फैक्ट्री में आक्रमण कर दिया। सिराजुद्दौला ने देखा ब्रिटिशर्स अपनी लिमिट क्रॉस कर रहे हैं। उसने ब्रिटिशर्स पर आक्रमण करने का फैसला ले लिया। इस बार यह जंग भागीरथी नदी के किनारे लड़ी गई। इस नदी के किनारे पलाश के बहुत सारे पेड़ थे। इसलिए इसे बैटल ऑफ प्लासी के नाम से भी जाना जाता है। रॉबर्ट क्लाइव ने अपने 3000 सैनिकों के मदद से और मीर जाफर की मदद से सिराजुद्दौला को मार गिराया। इस प्रकार मीर जाफर को रॉबर्ट क्लाइव ने बंगाल का नवाब बना दिया। मीर जाफ़र रोबर्ट क्लाइव की हाथो की  कठपुतली बन गया था तथा उसे ईस्ट इंडिया कंपनी के इच्छा के अनुरूप अपने काम तथा निर्णय लेना पड़ता था तथा कंपनी उसके हर प्रशासनिक कामो में दखल अंदाजी करते रहती थी जिस वजह से मीर जफ़र भी परेशान हो चूका था आगे क्या होता हैं इसे हम विस्तार से बक्सर युद्ध के आर्टिकल में विस्तार से समझेंगे । इस प्रकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी जो व्यापार करने के उद्देश्य से भारत में आई थी  किन्तु बैटल ऑफ प्लासी के बाद एक राजनैतिक सत्ता के रूप में नीव रखी. इतिहासकार इस लड़ाई के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया को एक साम्राज्यवादी के तौर पर देखते हैं तथा यहाँ से भारत के आधुनिक इतिहास की शुरुआत हो जाती हैं.

This Post Has 3 Comments

  1. Sir can you please provide notes in english also …🙏

  2. Nice…

  3. Sir please provide notes in English also!

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