प्रांतीय चुनाव 1945

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति

आज के आर्टिकल में हम प्रोविंशियल इलेक्शन यानी प्रांतीय चुनाव 1945 के बारे में चर्चा करेंगे. जैसे के हम जानते हैं जून 1945 में वेवेल योजना असफल हो गयी. जबकि वही 1945 में ब्रिटेन में सरकार बदल गयी वहाँ लेबर पार्टी की सरकार बनी थी और ब्रिटेन की बागडौर क्लेमन एटली के हाथ में थी. इसके कुछ समय बाद 2 सितम्बर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध भी समाप्त हो गया ब्रिटेन आखरी तक इस द्वितीय विश्व युद्ध में व्यस्त थी.

भारत में प्रांतीय चुनाव की घोषणा

द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति के बाद ब्रिटेन सरकार भारत के राजनीती में फिर से ध्यान लगाने लगी. 19 सितम्बर 1945 को क्लेमण्ट एटली ने घोषणा करते हुए कहा की भारत में प्रांतीय चुनाव करवाए जायेंगे तथा इसे चुनाव के आधार पर संविधान सभा का गठन किया जायेगा जो भारत का संविधान बनाएगी और एग्जीक्यूटिव कौंसिल का भी गठन किया जाएगा.

मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस का भिन्न प्रचार लक्ष्य

सभी राजनैतिक पार्टियों ने अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया कांग्रेस ने अपने अभियान में पुरे भारत के जनसँख्या का प्रतिनधि खुदको बताया जबकि मुस्लिम लीग ने स्पष्ट रूप से स्वयं केवल मुस्लिम समुदाय के जनसँख्या का प्रतिनिधि बताया. उनका इस इलेक्शन का मुख्य मुद्दा था अलग पाकिस्तान उनका कहना था की अगर अलग पाकिस्तान देश चाहिए तो केवल मुस्ल्मि लीग को मतदान करे जबकि कांग्रेस कह रही थी की अगर अखंड भारत को विभाजन से बचाना हैं तो केवल कांग्रेस को मतदान करे.

अन्तः इस चुनाव में कांग्रेस एक बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आयी हालांकि मुस्लिम लीग का भी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन रहा एवं लीग ने सभी मुस्लिम आरक्षित सीट में जित दर्ज़ की थी लेकिन लीग एक भी गैर मुस्लिम सीट नहीं जित पायी.

केंद्रीय चुनाव का नतीजा

यह इलेक्शन केंद्र तथा प्रान्त दोनों के लिए हुए थे केंद्र में कुल 102 सीट थी. केंद्र में कांग्रेस ने कुल 59 सीटों में जीत दर्ज़ की जबकि मुस्लिम लीग ने 30 सीट जीती थी.

प्रांतीय चुनाव का नतीजा

जबकी प्रान्त में आसाम, बिहार, सेंट्रल प्रोविंस, मद्रास, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस तथा यूनाइटेड प्रोविंस में कांग्रेस बहुमत में थी जबकि बंगाल, पंजाब, सिंध में मुस्लिम लीग बहुमत में थी. इस चुनाव में कुल 492 सीट मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षित थी तथा मुस्लिम लीग ने 492 मुस्लिम समुदाय के सीटों में कुल 87 प्रतिशत सीटों में जीत दर्ज़ की मतलब 492 में से 429 सीटों का कब्ज़ा था. इस नतीजे से यह बात निकली की मुस्लिम लीग सचमुच मुस्लिम समुदाय की प्रतिनिधि थी इस चुनाव के बाद पाकिस्तान बनने का रास्ता अधिक साफ हो गया. यह थी कहानी प्रांतीय चुनाव 1945 की. धन्यवाद!

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