प्रथम कर्नाटक युद्ध

आज हम प्रथम कर्नाटक युद्ध के बारे में पढ़ेंगे. वर्ष 1670 आते आते भारत में कई यूरोपियन कंपनियों का आगमन हो गया था. डच ईस्ट इंडिया कंपनी, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया, कंपनी, फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी एवं पोर्तुगीज ईस्ट इंडिया कंपनी.

यूरोपियन ईस्ट इंडियन कंपनी के बिच वर्चस्व को लेकर संघर्ष

असल में सारी व्यापारी कम्पनिया थी एवं इन कंपनियों में मतभेद होते रहते थे. किन्तु व्यापर युद्ध एवं एक दूसरे से आगे निकलने के दौड से पोर्तुगीज एवं डच ने अपने आपको अलग कर लिया.

असल में वर्ष 1661 में इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय ने पुर्तगाल के सम्राट जॉन चतुर्थ की कन्या के साथ विवाह कर लिया. इस तरह पुर्तगाल व्यापार युद्ध से बाहर निकल गए.

डच ईस्ट इंडिया कंपनी के पीछे त्रावणकोर के राजा पीछे पडे हुए थे जिनका नाम था मार्तण्ड वर्मा उन्होंने 1741 में कुलाचल के लड़ाई में डच ईस्ट इंडिया कंपनी को बुरी तरह परास्त कर दिया. डच ईस्ट इंडिया कंपनी को आत्मसमर्पण करना पड़ा. इसके बाद से डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना कारोबार इंडिया से शिफ्ट करके इंडोनेशिया और मलेशिया में लगाया. इस तरह कुलाचल युद्ध के बाद डच ईस्ट इंडिया कंपनी खेल से बाहर हो गयी.

फ्रेंच और ब्रिटेन ईस्ट इंडिया कंपनी के बिच संघर्ष

अब भारत में केवल दो कंपनियों के बिच वर्चस्व की लड़ाई होनी थी एवं यह दो कम्पनिया थी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी.

फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने सेटलमेंट पॉन्डिचेरी और कराईकल में बनाये थे. जबकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने दो फोर्ट बनाये थे, फोर्ट एंड जॉर्ज जो की आगे चलकर मद्रास बना और फोर्ट एंड डेविड जो कद्रूल कहलाया गया.यानी दोनों कंपनियों के मुख्य सेटलमेंट कर्नाटक में थे.

कर्नाटक असल में बेय ऑफ़ बंगाल और ईस्टर्न घाट के रीजन के क्षेत्र को कहा जाता हैं और 1744 में यहाँ के नवाब बने अनरुद्दीन. 1747 से यूरोप में वॉर ऑफ सक्सेशन यानि उत्तराधिकारी की लड़ाई शुरू थी. यहाँ पर यह निर्णय होने वाला था की ऑस्ट्रिया की गद्दी में कोण बैठेगा ? वर्ष 1744 में ब्रिटेन ने भी एंट्री लेली. इस तरह ब्रिटेन और फ्रांस आमने सामने आ चुके थे. ब्रिटेन और फ्रांस के बिच तनाव का असर भारत में भी पड़ा वर्ष 1745 को ब्रिटश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इंडियन ओसियन में खड़े फ्रेंच शीप पर अटैक कर दिया इसके साथ प्रथम कार्नेटिक युद्ध की शुरुआत हो गयी.

फ्रांस की प्रतिक्रिया

अब जवाब देने के बारी थी फ्रेंच गवर्नर डूप्ले की. डूप्ले ब्रिटिशर्स को ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहता था.उसने मॉरीशस के फ्रेंच गवर्नर को न्योता दिया और वो भी अपने नवल फोर्सेज लेकर तुरंत बेय ऑफ़ बंगाल पहुँच गया और फिर ब्रिटिश शीप को तहस नहस कर दिया. और इतनाही नहीं सितम्बर 1746 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास को अपने नियंत्रण में ले लिया और यहाँ पर बहुत सारे ब्रिटिशर्स को प्रिसनर्स ऑफ़ वार बनाके रख दिया.

कर्नाटक का नवाब एवं फ्रांस ईस्ट इंडिया कंपनी युद्ध

ब्रिटिशर्स कर्नाटक के नवाब अनरुद्दीन से मदत मांगी अनरुद्दीन ने फ्रेंच गवर्नर डूप्ले को बोला की उसके राज क्षेत्र में किसीभी तरह का लड़ाई झगड़ा नहीं चाहिए और शांति बनाये रखे. लेकिन डूप्ले ने उल्टा अनरुद्दीन को अपने झांसे में ले लिया उसने अनरुद्दीन से वादा किया की मद्रास पर नियंत्रण लेने के बाद उसे सौप देंगा.

अनरुद्दीन कुछ दिन शांत बैठा लेकिन डूप्ले ने दिया वादा नहीं निभाया इसलिए ऑक्टोबर 1746 में अनरुद्दीन ने मद्रास को कैप्चर करने अपनी आर्मी भेज दी. फिर अडियार नदी के किनारे फ्रेंच की छोटी सी टुकड़ी जिसमें मात्र 1000 सैनिक थे उसने अनरुद्दीन के 10000 सैनिक को धूल चटा दी.इस युद्ध को बैटल ऑफ़ अडियार या बैटल ऑफ़ सेंट थोम भी कहा जाता हैं क्योंकि उस जगह का नाम था सेंट थोम आज की तारीख में सेंत थोम एक छोटी लोकैलिटी हैं. बैटल ऑफ़ अडियार ने अनुरूद्दीन की आखे खोल दी. अनरुद्दीन को समझ आ गया इन यूरोपियन सत्ता से अकेले युद्ध नहीं कर सकता क्योंकि इनका एक सिपाही 10 पर भारी पड़ता हैं.

फ्रेंच ब्रिटेन संधि

1748 में यूरोप में ऑस्ट्रिया वॉर ऑफ़ सक्सेशन समाप्त हो गया. और ब्रिटेन और फ्रांस ने एक ट्रीटी साइन की जिसका नाम था ट्रीटी ऑफ़ एक्सक्लचैपाल इस संधि के बाद दोनों के बिच युद्ध विराम हो गया.

इस ट्रीटी के अंतर्गत एक सौदा भी हुआ सौदा यह था की ब्रिटेन ने जो लुइसबर्ग को हथिया लिया था उसे फ्रांस को वापस करना होंगा. असल में लुइसबर्ग कनाडा का हिस्सा हैं जो उस समय फ़्रांस के पास था जिसे ब्रिटेन ने हथिया लिया था तो ब्रिटेन को इस ट्रीटी के हिसाब से वापस फ्रांस को देना था.

इसके बदले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मद्रास वापस से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को लौटाना था. इस तरह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मद्रास वापस मिल गया. इस तरह ऑस्ट्रिया वॉर ऑफ़ सक्सेशन से सुरु हुए प्रथम कर्नाटक युद्ध ट्रीटी ऑफ़ एक्सक्लचैपाल के साथ समाप्त हो गयी.

सारांश

यूरोप में ऑस्ट्रिया वॉर ऑफ़ सक्सेशन के चलते ब्रिटेन ईस्ट इंडिया कंपनी ने फ्रेंच शीप पर आक्रमण कर दिया.बदले में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास को अपने नियंत्रण में ले लिया.मद्रास अनरुद्दीन को भी चाहिए था इसलिए फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी और कार्नेटिक के नवाब अनरुद्दीन के बिच बैटल ऑफ़ सेंत थोम हुआ किन्तु ब्रिटेन फ्रांस के बिच एक्सक्लचेपल ट्रीटी के साथ ऑस्ट्रिया वॉर ऑफ़ सक्सेशन समाप्त हो गया जिससे भारत में शांति हुयी लेकिन ट्रीटी के अनुसार फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी को मद्रास वापस से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को देना पड़ा यह सारी लड़ाई कर्नाटक रीजन में हुयी थी इसलिए इसे प्रथम कर्नाटक युद्ध कहा जाता हैं. धन्यवाद !

This Post Has 3 Comments

  1. Super sir I’m impressed with teaching technology

  2. Sir where is the English note

  3. Thank you very much sir

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