पूना पैक्ट

आज हम पूना पैक्ट 1932 के बारे में चर्चा करेंगे। इसके पहले आर्टिकल में हमने पूना पैक्ट के पूर्व घटित महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में चर्चा की थी तथा हमने यह भी जाना था किस तरह से सेपरेट इलेक्टोरेट के बाद रेमसे मैक्डोनाल्ड ने कम्युनल अवार्ड की घोषणा की लेकिन इस आर्टिकल में हम पूना पैक्ट के मुख्य प्रोविजन में रोशनी डालेंगे. जैसे कि हमें पता है कि कम्युनल अवार्ड के अंतर्गत मुस्लिम, सीख, ईसाई, एंग्लो इंडियन के साथ साथ डिप्रेस क्लासेज को भी सेपरेट इलेक्टोरेट दिया गया मतलब डिप्रेस क्लासेज को भी माइनॉरिटी का दर्ज़ा दिया गया . बल्कि इसके पूर्व कम्युनल अवार्ड के पहले डिप्रेस्ड क्लासेस को हिंदुओं का अभिन्न अंग माना जाता था। लेकिन कम्युनल अवार्ड में डिप्रेस क्लासेज को हिन्दुओ से अलग समझा गया तथा उन्हें माइनॉरिटी का दर्ज़ा दे दिया गया. कम्युनल अवार्ड के अंतर्गत डिप्रेस क्लासेज को 71 सीट्स प्रोविंशियल लेजिस्लेचर में रिजर्वेशन के आधार पर दी गयी. जिस सीट पर डिप्रेस्ड क्लासेस के कैंडिडेट यानी प्रतिनिधि इस रिजर्वेशन सीट के माध्यम से चुने जाने थे तथा यह यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि डिप्रेस्ड क्लासेस को सेपरेट इलेक्टोरेट के नियम के अनुसार केवल डिप्रेस्ड क्लासेस ही मतदान कर सकते थे. इसके अलावा डिप्रेस्ड क्लासेस के प्रतिनिधि को यह इजाजत दी गई थी कि वे 71 रिज़र्व सीट के अलावा जनरल कोंस्टीटूएंसी में भी इलेक्शन लड़ सकते हैं. कम्युनल अवार्ड में एक महत्वपूर्ण प्रोविजन यह भी की गई थी कि जो रिजर्वेशन डिप्रेस्ड क्लासेस को दिए जा रहे हैं तथा अन्य लाभ दिए जा रहे हैं वह मात्र 25 वर्ष के लिए थे. जैसा कि हमने अपने पिछले आर्टिकल में में पढ़ा था की गांधीजी ने 20 सितम्बर 1932 से डिप्रेस क्लासेज को सेपरेट इलेक्टोरेट देने के विरोध में येरवडा जेल में आमरण अनशन सुरु कर दिया था तथा अनशन के वजह से उनके स्वास्थ में लगातार गिरावट हो रही थी जिसे देख पंडित मदनमोहन मालवीय, तेज बहादुर सप्रू, राजगोपालाचारी जैसे वरिष्ठ नेता बाबासाहेब आंबेडकर से मिलने गए तथा गांधीजी के स्वास्थ सन्दर्भ में चर्चा करने के बाद उनसे सेपरेट इलेक्टोरेट की मांग को पीछे लेने को कहा इसके अलावा गांधीजी के अनुयायी भी बाबासाहेब आंबेडकर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे कुल मिलाकर देखे तो दलित वर्गो को छोड़ बाबासाहेब अनेक लोगो का विरोध तथा आलोचना सहन कर रहे थे क्योकि गांधीजी उस समय बहुसंख्यक लोगो के दिलो में राज़ करते थे. वैसे देखा जाये तो गांधीजी पहले से अंग्रेजो के डिवाइड एंड रूल के निति से अच्छी तरह वाकिफ थे तथा गांधीजी अंग्रेजो के रवैये से समझ गए थ की वे हमें सम्प्रदायों में बाटकर देश में ज्यादा मज़बूती से शासन करना चाहते थे. तो यहाँ यह बात समझने वाली हैं की गांधीजी ने अनशन अंग्रेजो के बटवारे वाले निति के खिलाफ भी किया था. गांधीजी के स्वास्थ को बिगड़ता देख बाबासाहेब ने भी निगोशिएशन करने का निर्णय लिया इसी आधार पर पूना पैक्ट की आधारशिला रखी गयी.

पूना पॅक्ट की एग्रीमेंट की शर्ते

गांधीजी कम्युनल अवार्ड के माध्यम से दिए गए डिप्रेस क्लासेज को हटाना चाहते थे जबकि बाबसाहेब की यह शर्त थी की सेपरेट इलेक्टोरेट वापस लेने के के बदले में डिप्रेस क्लासेज की रिज़र्व सीट की संख्या में बढ़ोतरी की जाये. उनके कहे अनुसार पूना पैक्ट में यह बात मानी भी गई. तथा डिप्रेस्ड क्लासेज कैंडिडेट की रिज़र्व सीट 148 की गयी जबकि वही कम्युनल अवार्ड में डिप्रेस क्लासेज को रिज़र्व सीट मात्र 71 दी गयी थी.

पूना पैक्ट के अनुसार डिप्रेस क्लासेज के उम्मीदवार जनरल सीट्स से भी चुनाव लड़ सकते थे जबकि यही सेम व्यवस्था कम्युनल अवार्ड में भी की गयी थी. देखा जाये तो रिज़र्व सीट दो गुना बढ़ा दी गयी थी. और इन बढ़ी हुयी सीट में केवल डिप्रेस क्लासेज के उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते थे तथा इनका चुनाव जॉइंट इलेक्टोरेट के माध्यम से होने वाला था. जबकि यहाँ यह बात ध्यान देने वाली हैं की कम्युनल अवार्ड में डिप्रेस क्लासेज को सेपरेट इलेक्टोरेट दिया गया था.

सेपरेट तथा जॉइंट इलेक्टोरेट के बिच का फर्क

मान लीजिये एक कांस्टीट्यूएंसी में याने की एक निर्वाचन क्षेत्र में बहुत सारे लोग रहते हैं. तथा वे अलग-अलग कम्युनिटी यानि सम्प्रदाय तथा धर्म से संबंध रखते हैं। तथा इन निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को इलेक्टोरेट कहते हैं अगर इन इलेक्टोरेट्स को याने की वोटर्स को इनके कम्युनिटी तथा रिलीजन में आपस में बांट दिया जाए तथा कह दिया जाए कि सभी कम्युनिटी को अपने कम्युनिटी के प्रतिनिधि को मतदान करना हैं मतलब उनक कम्युनिटी के प्रतिनिधि को वोटिंग केवल उनके कम्युनिटी के ही मतदाता करेंगे तो इस तरह की व्यवस्था को सेपरेट इलेक्टरेट कहा जाता है.

अब हम जॉइंट इलेक्टोरेट को आसान भाषा में समज़ते हैं.

जॉइंट इलेक्टोरेट में सभी लोग मतदान के माध्यम से अपना रिप्रेजेंटेटिव यानी के प्रतिनिधि चुनते हैं लेकिन रिजर्व सिस्टम के केस में यह किस तरह से काम करता है या देखते हैं मान लो एक कॉन्स्टिट्यूशन की टोटल पापुलेशन है 10 तथा यह कांस्टीट्यूएंसी डिप्रेस्ड क्लासेस के लिए रिजर्व है तथा इलेक्शन होने हैं सेपरेट इलेक्टरेट द्वारा ऐसे में केवल डिप्रेस्ड क्लासेस के लोग ही इलेक्शन में खड़े हो पाएंगे वोटिंग का अधिकार केवल डिप्रेस्ड क्लासेस के लोगों को ही होगा। लेकिन अगर इसी कांस्टीट्यूएंसी में जॉइंट इलेक्टरेट के माध्यम से इलेक्शन करवाए जाए। तब क्या होगा? तथा क्या फर्क आएगा यह जानते हैं.अब जैसी की यह सीट डिप्रेस क्लासेज के लिए रिज़र्व हैं तो केवल डिप्रेस क्लासेज के उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन यहाँ पर इलेक्शन जॉइंट इलेक्टोरेट द्वारा हो रहा हैं इसलिए वोटिंग का अधिकार सभी समुदायों को होगा यह फर्क सेपरेट तथा जॉइंट इलेक्टोरेट के बिच का.पूना पैक्ट के अनुसार यह रिजर्वेशन 10 वर्षो के लिए दिया गया.लेकिन कम्युनल अवार्ड यह रिजर्वेशन 25 वर्षो के लिए दिया गया था.

पूना पैक्ट के अनुसार 148 सीट का बटवारा प्रांतो के बिच निम्मलिखित रूप से हुआ.


मद्रास में 30 रिज़र्व सीट दी गयी
बॉम्बे तथा सिंध में 15
पंजाब में 8
ओडिसा बिहार 18
सेंट्रल प्रोविंस में 20
असम 7
बंगाल 30
यूनाइटेड प्रोविंस में 20
यहाँ पर लेकिन एक मॉडिफिकेशन था जॉइंट इलेक्टोरेट के केस में
मानलीजिए रेड dot डिप्रेस क्लासेज को रिप्रेजेंट करते हैं तो सबसे पहले प्राइमरी इलेक्शन कराये जायेगे जिसमे सिर्फ डिप्रेस क्लासेज के लोग वोटिंग करेंगे तथा इस माध्यम से 4 प्रतिनिधि को चुनेगे इसके बाद जॉइंट इलेक्टोरेट के बेस पर चुनाव किये जायेगे इसके प्राइमरी बेस पर चुने गए 4 कैंडिडेट को वोटिंग के जरिये केवल 1 को चुना जायेगा तथा उसे माना जायेगा कोंस्टीटूएंसी का प्रतिनिधि यानि रिप्रेजेन्टेटिव. आखिर में इस प्रकार से डिप्रेस क्लासेज का उम्मीदवार जॉइंट इलेक्टोरेट के माध्यम से चुना गया

पूना पैक्ट के अनुसार 19 प्रतिशत सीट सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में डिप्रेस क्लासेज़ के लोगो के लिए रिज़र्व यानि आरक्षित की गयी यहाँ पर भी जॉइंट इलेक्टोरेट की पद्धत्ति का स्वीकार किया गया.

हिन्दू महासभा तथा ब्रिटिश सरकार ने पूना पैक्ट को स्वीकार कर लिया गांधीजी ने पूना पैक्ट के बाद एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायरमेंट ले लिया तथा येरवडा जेल से आल इंडिया antouchability लीग की स्थापना की जिसका उद्देश्य था देश में छूआ छूत की प्रथा को नष्ट करना इसी क्रम में गांधीजीने अछूतो को हरिजन नाम से पुकारा तथा हरिजन नाम का साप्ताहिक भी शुरू किया ताकि समाज में छूआ छूत के खिलाफ जागृति आये तथा इस भेदभावपूर्ण तथा पीड़ादायक प्रथा से जल्द छुटकारा मिल जाये.

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