देसाई लियाकत अली समझौता 1945

आज के आर्टिकल में हम देसाई लियाकत अली समझौता पर चर्चा करेंगे, यह पॅक्ट भोलाभाई देसाई एवं लियाकत अली खान के बीच हुआ था.

भोलाभाई देसाई के बारे के जानकारी.

भोलाभाई ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत ऐनी बेसंट के होम रूल लीग के साथ किया था इसके बाद वे 1928 के बारडोली सत्याग्रह से भी जुड़े थे एवं 1930 में वे इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके बाद वे 1934 से गुजरात के सेंट्रल लेजिस्लेटिव से चुनाव भी जीते और सदस्य बने जब 1940 में ब्रिटिश सरकार जबरदस्ती द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भारतीयों का समर्थन ले रही थी तब भोलाभाई थे जिन्होने इसका सदन में जमकर विरोध किया एवं कहा की अगर यह जंग भारत की नहीं हैं तो भारतीय क्यों इसका समर्थन करे. भोलाभाई एक अमीर व्यक्ति थी एवं इनके मृत्यु के बाद इनके नाम से ही मेमोरियल इंस्टिट्यूट बॉम्बे में बनाया गया. बॉम्बे में इनके नाम से एक रोड भी बनाया गया जिसका नाम हैं भोलाभाई देसाई रोड.

भोलाभाई देसाई जेल के बाहर थे

छोडो भारत आंदोलन 1942 से लेकर 1945 तक चला उस समय सारे कोंग्रेसी नेता जेल में थे एवं गांधीजी बड़ी मुश्किल से जेल से रिहा हुए वो भी स्वास्थ का हवाला देकर वे रिहा हुए. इन सब नेताओ में भोलाभाई देसाई एक ऐसे कोंग्रेसी नेता थे जो जेल के बाहर थे. इसके अलावा अंग्रेज सरकार ने पहले ही कह दिया था की जब तक मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस आपस में समझौता नहीं कर लेते तब तक वे संवैधानिक सुधार भारत में नहीं ला सकते इसके बाद वर्ष 1944 में राजा रामगोपालचारी ने सीआर फार्मूला दिया जो जिन्ना द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.

गुप्त बातचीत

इस बिच राजनैतिक गतविधियां ठप हो चुकी थी और भोलाभाई देसाई जो लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य थे उनके एवं लियाकत अली खान के बिच एक समझौता हुआ और इसके लिए उन्होंने गुप्त रूप से बातचीत शुरू की लियाकत अली खान मुस्लिम लीग के जनरल सेक्रेटरी थे एवं जिन्ना के बाद पार्टी के दूसरे बड़े नेता थे एवं दोनों के बिच गुप्त रूप से समझौते के लिए गुप्त बातचीत का दौर चलता रहा हालांकि कांग्रेस के कद्दावर नेता जैसे गांधीजी,नेहरूजी एवं सरदार पटेल इन दोनों के बातचीत से अनजान थे जबकि मुस्लिम लीग के सदस्य भी इस समझौते से अनजान थे. इस बिच यह खबर लीक हो गयी की कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के बिच एक समझौता हो रहा हैं तथा यह खबर वर्तमानपत्रो द्वारा लोगो तक पहुंच गयी. इसके बाद लियाकत अली खान भी इस खबर से मुकर गए.

कांग्रसी नेताओ में नाराजगी

कोंग्रेसी नेता इस खबर से नाराज थे एवं उन्होंने भोलाभाई से कहा की आपने हमें बताये समझौता क्यों किया. इस घटना की वजह से भोलाभाई का कद एकदम से कांग्रेस में कम हो गया और अगले चुनाव का टिकट तक उन्हें नहीं दिया गया. कहा जाता हैं भोलाभाई ने जोभी कहा वो गांधीजी के कहे अनुसार किया किन्तु इसमें कितनी सच्चाई हैं कोई नहीं जानता. इसके बाद वे बीमार हो गए और जब गांधीजी उनसे मिलने गए उन्होंने गांधीजी से बात तक नहीं की.

देसाई लियाकत अली पॅक्ट के महत्वपूर्ण समझौते.

यह पॅक्ट भविष्य में गठबंधन की सरकार बनाने के लिए था. पॅक्ट के अनुसार कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने केंद्र में बराबर के सदस्य रखने का समझौता किया.

इसके अलावा लियाकत अली ने अलग देश पाकिस्तान की मांग को इस शर्त पर ख़ारिज किया की अगर उन्हें केंद्रीय सरकार में बराबर की हिस्सेदारी मिले.

इसके अलावा पॅक्ट में यह बात की गयी की 20 प्रतिशत केंद्र में हिस्सेदारी अल्पसंख्यक दलितों एवं सीखो की होंगी एवं जो सरकार बनेगी वो गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 के आधार पर काम करेगी. यह थी कहानी देसाई लियाकत अली पॅक्ट की.धन्यवाद.

This Post Has 2 Comments

  1. Sir I m from telangana.we need your videos.please give notes in english.we can understand hindi.but notes in English is much better for us.

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