थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स

इस आर्टिकल में हम थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स के बारे में चर्चा करेंगे । हम अभी थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स का टाइम पीरियड देखते हैं। थर्ड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी 17 अक्टूबर 1932 को तथा यह कॉन्फरन्स 24 दिसंबर 1932 तक चली। उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे रेमसे मैकडॉनल्ड। तथा उस समय भारत के वायसराय थे लॉर्ड विलिंगटन. तीसरे राउंड टेबल कॉन्फरन्स केवल 46 डेलीगेट याने प्रतिनिधियों ने अटेंड किया। अगर इसे फर्स्ट राउंड टेबल कॉन्फरन्स तथा सेकंड राउंड टेबल कॉन्फरन्स के साथ कंपेयर किया जाए तो यह संख्या अपने आप में काफी कम है।क्योकि फर्स्ट राउंड टेबल कॉन्फरन्स में कुल 90 डेलीगेट यानी के प्रतिनिधि थे। जबकि दूसरे राउंड टेबल कॉन्फरन्स में कुल 155 प्रतिनिधि उपस्थित थे।

अनुपस्थिति दर्ज़ कराने वाले महत्वपूर्ण पार्टिया

सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के बाद गांधीजी ने सिविल डिसऑबेडिएंस का दूसरा दौर शुरू करने का निर्णय लिया। लेकिन लॉर्ड विलिंगटन ने गांधीजी के सिविल डिसओबेडिएंस को कुचल दिया क्योकि उसने तुरंत करवाई करते हुए गांधीजी समेत तमाम कांग्रेस के बड़े नेताओ को जेल में कैद करवा दिया I जब तीसरी थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स हो रही थी तब कांग्रेस के दिग्गज नेता जेल के अंदर थे। तथा उन्हें थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स के लिए आमंत्रित भी नहीं किया गया था। इसके अलावा मोहम्मद अली जिन्ना ने भी थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा ब्रिटेन के लेबर पार्टी ने भी थर्ड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से दूरी बना ली।

उपस्थिति दर्ज़ कराने वाले लोग तथा पार्टी

अब हम यह जानते हैं कि आखिरी थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में किसकी उपस्थिति थी. इस थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में प्रिंसली स्टेट के दीवान ने उपस्थिति दर्ज करवाई। इसमें थे हैदराबाद के दीवान, उदयपुर के दीवान, इसके अलावा मैसूर, जोधपुर, अलवर, जम्मू कश्मीर तथा भोपाल के दीवान भी यहां मौजूद थे।
अब हम दीवान का मतलब समझ लेते है. उस समय राजाओ के रिसायतों में एक पोस्ट हुआ करती थी दीवान नाम की, उस जमाने के दीवान को आज का प्रधानमंत्री कहा जा सकता है, उस पर्टिकुलर राज्य का या रिसायत का.

इसके अलावा कुछ पार्टिकुलर पार्टियों के नेता भी उपस्थित थे। डिप्रेस्ड क्लासेस के तरफ से आए थे डॉ बाबासाहेब आंबेडकर तथा मुस्लिम लीग के तरफ से आए थे आगा खान थर्ड एवं मोहम्मद इकबाल।

महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही थी बेगम जहनारा शाहनवाज़. तथा लिबरल पार्टी को रिप्रेजेंट कर रहे थे तेज बहादुर सप्रू। तथा एंग्लो इंडियन को रिप्रेजेंट कर रहे थे हेनरी.

थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स की महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं।

जब सेकंड राउंड टेबल समाप्त हो गई थी तो ब्रिटिश गवर्नमेंट ने कुछ फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को भारत में भेज दिया था। उनमें से सबसे तीन महत्वपूर्ण कमेटी निम्मलिखित है.
1. लोथिन कमेटी
2. पर्सी कमिटी
3. डेविडसन कमिटी

असल में फ्रेंचाइजी कमेटी को ही लोथिन कमिटी की नाम से जाना जाता है. तथा यही वह कमेटी है जिसने कम्युनल अवार्ड की रिकमेंडेशन याने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश के आधार पर मैकडॉनल्ड कम्युनल अवार्ड दिया गया था।

इसके अलावा पर्सी कमेटी तथा डेविडसन कमेटी फाइनेंस से संबंधित थी। तथा थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में इन तीनों कमेटियों के सिफारिशों पर चर्चा की गई। इसके अलावा थर्ड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में इंडिया के फेडरल स्ट्रक्चर के फॉरमेशन पर भी चर्चा की गई।

शब्द पाकस्तान का प्रयोग

थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में एक अनोखी चीज यह हुई कि मुस्लिम लीग द्वारा कुछ पंपलेट बांटे गए। और इन पम्पलेट की हेडिंग थी। now or never ! Are we to live or perished forever.
यह पंपलेट लिखा था एक कॉलेज विद्यार्थी चौधरी रहमत अली ने. इस पंपलेट में शब्द पाकिस्तान का पहली बार प्रयोग किया गया था। इसके पहले मुस्लिम लीडर जो है मुस्लिम स्टेट बनाने की अलग मांग तो कर रहे थे। लेकिन उस स्टेट का नाम पाकिस्तान रहना चाहिए यह आईडिया चौधरी रहमत अली ने अपने आर्टिकल में दिया। तथा इस पंपलेट को थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स में सभी डेलीगेट को बांटा गया था। हालांकि थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स समाप्त होने के बाद 1933 में यह आर्टिकल फाइनली पब्लिश हुआ। लेकिन इस आर्टिकल पब्लिश होने के पूर्व यह नाम थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स के डेलीगेट याने प्रतिनिधियों के बीच वर्ष 1932 में बट चुका था। यहां पर एक बात ध्यान देने वाली है कि इस आर्टिकल में जो शब्द पाकिस्तान का प्रयोग किया गया है। यह शब्द था पाकस्तान तथा I लेटर यहाँ मिसिंग है. यही पेंपलेट पाकिस्तान डिक्लेरेशन के नाम से भी जाना जाता है।

इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने फर्स्ट सेकंड और थर्ड राउंड टेबल कॉन्फरन्स के चर्चा तथा सिफारिशों के के आधार पर एक व्हाइट पेपर प्रस्तुत किया तथा इस पेपर के आधार पर ब्रिटिश के संसद में डिबेट तथा चर्चा की गई। तथा इन्हीं चर्चाओं के आधार पर भारत में जुलाई महीने में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 लाया गया।
धन्यवाद!

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