डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स

पृष्ठभूमि

                       आज के आर्टिकल में हम डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स  के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स पॉलिसी लॉर्ड डलहौजी द्वारा लाई गई थी। लेकिन डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स को समझने से पहले हमें एक कहानी समझना होगा। तो कहानी ऐसी है कि कुछ भैंसों के झुंड को नदी पार करना था । उन्हें नदी के किनारे लकड़ी के  नाव जैसा कुछ दिखा। पहले भैसे को कुछ शक हुआ उसने कहा यह मगर जैसा कुछ है। दूसरे भैंस ने कहा नहीं भाई यह लकड़ी की ही नाव हैं. अगर तुमको यकीन नहीं होता तो खुद चेक करके देख लो।  पहले भैंस ने कंफर्म करने के लिए उसे डंडे से हिलाया फिर पत्थर भी मार के देखा। लेकिन नदी में जो लकड़ी जैसा  दिख रहा था वह टस से मस नहीं हुआ। तथा जैसे ही भैंस ने अपना पैर उस लकड़ी के ऊपर रखने की कोशिश की तो उसे  नदी में खींच लिया गया। और वह लकड़ी की नाव नहीं बल्कि एक मगरमच्छ था। इसके बाद एक के बाद एक सारे भैसे  उस मगरमच्छ के चालाकी के आगे  फस गए तथा अपनी जान से  हाथ धो बैठे। बल्कि इस कहानी में आपको ब्रिटिशर्स की डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स तथा सब्सिडियरी एलायंस पालिसी का इसमें  क्रक्स देखने को मिलता है। सब्सिडियरी एलाइंस के तहत लॉर्ड वेलेजली ने प्रिंसली स्टेट को यह भरोसा दिला दिया था कि ईस्ट इंडिया कंपनी पर भरोसा किया जा सकता हैं तथा उसके बाद अनेक प्रिंसली स्टेट  ने सब्सिडियरी एलायंस पर भरोसा करके  खुद को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन कर लिया था। मतलब इस पॉलिसी के तहत ब्रिटिशर्स के इतने बातों में आ गए कि अपनी सैन्य स्वतंत्रता आत्मनिर्भरता तथा सुरक्षा भी दाव पर  लगाकर ब्रिटिशर्स के सब्सिडरी एलाइंस पॉलिसी पर भरोसा किया। (सब्सिडरी अलायन्स का वीडियो तथा आर्टिकल वेबसाइट पर मौजूद हैं आप इसे अच्छी तरह समझ सकते हैं.)

डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स

अब हम डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स को विस्तार से समझते हैं। डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स की पॉलिसी का बड़े पैमाने में लागु  लॉर्ड डलहौजी ने किया था। लॉर्ड डलहौजी  1848 से लेकर 1856  तक गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया था। जब लॉर्ड डलहौजी भारत आया तो उसने नोटिस किया कि भारत में 3 तरह के प्रिंसली स्टेट मौजूद है। पहले हैं इंडिपेंडेंट यानी कि स्वतंत्र स्टेट जिनका ईस्ट इंडिया कंपनी से कोई वास्ता नहीं है। दूसरे हैं प्रोटेक्टरेट स्टेट जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सब्सिडियरी एलायंस साइन किया है तथा इसके अंतर्गत प्रोटेक्शन ले रहे हैं। तीसरे हैं डिपेंडेंट स्टेट जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  के साथ युद्ध में हार चुके हैं तथा   इस कैटेगरी के स्टेट के नवाब  ब्रिटिशर्स  के हाथ की एक  कठपुतली है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात हैं की लार्ड डलहौजी ने यहाँ पर केवल प्रोटेक्टोरेट तथा युद्ध में हारे हुए प्रिंसली स्टेट पर डॉक्ट्रिन ऑफ़ लेप्स की तलवार लटकाई थी. लेकिन इसके पहले हमको एक बात समझनी होगी  जिन राजा को कोई संतान नहीं होती थी उस वक्त राजा अपने उत्तराधिकारी के लिए एक पुत्र को गोद लेता था ताकि भविष्य में उसके बाद वह दत्तक पुत्र राजपाट संभाले, यह परंपरा भारत में स्वीकार्य थी। लेकिन  लॉर्ड डलहौजी ने अब से इन तरह के परिस्थिति में  प्रोटेक्ट्रेट स्टेट तथा डिपेंडेंट स्टेट के लिए दत्तक पुत्र यानि की गोद लिए पुत्र को राजा बनाने से आधिकारिक तौर पर इनकार कर दिया था तथा डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स की पालिसी का उपयोग करके वह इस स्थिति में फसे प्रिंस्ली स्टेट को  ब्रिटिश राज्य के टेरिटरी से जोड़ देता था इसी को राज्य हड़प की निति सिद्धांत  के नाम से जाना जाता हैं.

       लेकिन यहाँ एक और बात समज़ने लायक हैं की डिपेंडेंट प्रिंसली स्टेट के लिए डलहौजी, डॉक्ट्रिन ऑफ़ लेप्स के अंतर्गत यह कंडीशन लगाता था की अगर यह स्टेट बच्चे को गोद लेते हैं तो ऐसे वक्त उस बच्चे का अधिकार केवल राजा के निजी संपत्ति पर होगा तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी उस बच्चे को नाही कोई टाइटल देगी, नहीं कोई पेंशन और नाही उसे प्रिंसली स्टेट का नवाब मानेगी तथा इस स्थिति में डिपेंडेंट प्रिंसली स्टेट पर  ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्ज़ा मान लिया जायेगा.

            जबकि दूसरी और प्रोटेक्टोरेट प्रिंसली स्टेट के केस में दत्तक पुत्र यानि की गोद लिए पुत्र को नवाब बनाने या न बनाने का निर्णय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी लेंगी वह भी केस टू केस बेसिस पर तथा इस केस में भी ज्यादा चान्सेस हैं की उसे एनेक्स कर लिया जायेगा.

डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स के तहत अधीन किये गए राज्य

अब हम जानेगे उन प्रिंस्ली स्टेट के बारे में जिसे लार्ड डलहौजी के समय पर एनेक्स कर लिया गया.डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स का सबसे पहला शिकार बना सातारा जो की महाराष्ट्र की प्रमुख सिटी हैं जिसे १६७४ में स्थापित किया गया था छत्रपति साहू महाराज द्वारा जब डलहौजी ने इसे डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स के तहत हड़पा तब इस पर राज कर रहे थे शहाजी राजे भोसले. शाहजी राजे भोसले को कोई संतान नहीं हुयी तो उन्होंने एक बच्चे को गोद ले लिया इसके बाद १८४८ में शाहजी की मृत्यु हो गयी उसके बाद ब्रिटिशर्स ने अडोप्टेबिल्टी में इर्रेगुलाटीस को पाया आसान भाषा में उन्होंने एडॉप्शन में कुछ झोल झाल पाया तथा कहा इन परिस्थिति में राजा को गोद लिया नहीं जा सकता इसी बहाने सतारा को अनेक्स कर दिया गया एवं अब सतारा बॉम्बे प्रेसीडेंसी का एक पार्ट बन गया. इसके बाद में बारी  आयी बुंदेलखंड के जैतपुर की   जो की उत्तरप्रदेश में आता हैं.उसके बाद ओडिसा के सम्भलपुर को हड़प लिया इसके पंजाब के एक छोटे हिलस्टेशन भगत को फिर झांसी, नागपुर को हड़प लिया इस तरह यह लिस्ट बढ़ते जा रही थी. तथा यहाँ एक बात समज़ने वाली हैं की डलहौजी के ब्रिटिश लौटने के बाद १८५७ का उठाव शुरू हो गया था तथा उनके करने में से डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स भी इस उठाव का कारन बनी. यह थी कहानी डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स की लेकिन निम्मलिखित राज्य जो इस पालिसी के तहत हड़पे गए थे उसे ध्यान में रखना परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं.

राज्य  वर्ष

सतारा  1848 ई.

जैतपुर, संभलपुर 1849 ई.

बघाट  1850 ई.

उदयपुर 1852 ई.

झाँसी  1853 ई.

नागपुर 1854 ई.

करौली 1855 ई.

अवध  1856 ई

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