आज के आर्टिकल में हम सीधी कार्यवाही 1946 के बारे में पढ़ेंगे. सीधी कार्यवाही यानी डायरेक्ट एक्शन प्लान 16 अगस्त 1946 को हुआ था और भारत के इतिहास का यह सबसे बड़ा सांप्रदायिक दंगा था और इस दंगे में कई मासूम लोगो को नरसंहार हुआ था. यह दंगा कोलकाता में हुआ था.
अलग पाकिस्तान का प्रस्ताव तथा मुस्लिम लीग की जीत
वर्ष 1940 में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें यह मांग की गयी थी की भारत के ईस्टर्न याने पूर्वी इलाका तथा नार्थ वेस्ट इलाके को मिलाकर एक अलग स्वतंत्र पाकिस्तान देश बनाना चाहिए. इसके बाद वर्ष 1946 में भारत में जनरल असेम्ब्ली इलेक्शन हुए यानी की प्रांतीय चुनाव हुए जिसमें मुस्लिम लीग अलग पाकिस्तान के लिए वोट मांग रही थी जबकि कांग्रेस अखंड भारत के नाम पर वोट मांग रही थी. मुस्लिम लीग अपने कुल 492 मुस्लिम रिजर्व सीट में से 429 सीट में जीत दर्ज़ की थी याने की मुस्लिम रिजर्व सीटों में 87 प्रतिशत सीट मुस्लिम लीग ने जीती थी तथा इससे यही निष्कर्ष निकला की मुस्लिम समुदाय अलग पाकिस्तान देश से सहमत था.
कैबिनेट मिशन योजना.
कैबिनेट मिशन योजना में प्रान्तो का बटवारा तीन भागो में हुआ था. कुछ भाग ए पार्ट में थे, कुछ पार्ट बी तथा कुछ पार्ट सी भाग में थे. जिन्ना कैबिनेट योजना से सहमत थे क्योंकि उनको इन भागो में अलग पाकिस्तान का नक्शा नजर आ रहा था. लेकिन कांग्रेस ने इस प्रांतीय विभाजन के आधार को सिरे से नकार दिया और कहा सविंधान सभा में कांग्रेस की सीट ज्यादा होंगी तो वो इस प्रोविजन को हटा देंगी. लेकिन जिन्ना को यह सोच गवारा ना थी इसलिए अन्त में कैबिनेट मिशन को जिन्ना ने अस्वीकार कर दिया. चुनाव के बाद, कांग्रेस भारत में सबसे बड़ी पार्टी उभरकर सामने आयी क्योंकि सबसे ज्यादा सीटे कांग्रेस ने जीती थी परिणाम स्वरुप लार्ड वेवेल ने अंतरिम सरकार बनाने का न्योता कांग्रेस को भेजा.
सीधी कार्यवाही की चेतावनी
जवाब में जिन्ना ने आरोप लगाया की ब्रिटेन सरकार तथा कांग्रेस, मुस्लिम समुदाय की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए बौखलाए जिन्ना ने सीधी कार्यवाही का आर्डर मुस्लिम समुदाय को दे दिया. सीधी कार्यवाही की चेतावनी जिन्ना ने जुलाई महीने में प्रेस कॉनफेरेन्स के जरिये देदी थी. चेतावनी में उन्होंने कहा की अगर उनकी पाकिस्तान की मांग ना मानी गयी तो वे सीधी कार्यवाही करने में बिलकुल पीछे नहीं हटेंगे.
हिन्दू मेजोरिटी इलाको पर हमला
सीधी कार्यवाही के जरिये मुस्लिम लीग, ब्रिटिश सरकार तथा कांग्रेस को दिखाना चाहते थे की वे तथा उनका समुदाय पाकिस्तान पाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं. द स्टार ऑफ़ इंडिया उस समय मुस्लिम के बिच सबसे मशहूर अख़बार था. जिसके सम्पादक मुस्लिम लीग के सदस्य थे. उन्होने 16 अगस्त 1946 की सीधी कार्यवाही की रुपरेखा तथा योजना पुरे विस्तार से अपने न्यूज़ पेपर में प्रकाशीत की थी. बंगाल के मुख्यमंत्री सुरावर्दी ने पुलिस को 16 अगस्त के छुट्टी पर भेज दिया क्योंकि उस समय बंगाल में मुस्लिम लीग की सरकार थी तो कोलकाता को सीधी कार्यवाही के रूप में चुना गया. असल में सुरावर्दी स्वयं मुसलमानो को भड़काने में सबसे आगे थे. दुकानों में ताले लगवा दिया गया. लड़ाई झगड़े की खबरे आने लगी. पत्थरबाजी भी शुरू हो गयी. राजाबाजार, केलाबगान, कॉलेज स्ट्रीट, हेरिसन रोड, बुर्राबाज़ार में सबसे ज्यादा हिंसा हुयी जो कोलकाता के मुख्य केंद्र थे तथा हिन्दुओ के मेजोरिटी एरिया थे.
दंगे की शुरुआत
कोलकाता के अलग अलग जगह जैसे हावड़ा, मेतियाबुरुज , हुगली, और 24 परगना पर लोग इकठ्ठा हो गए और जुलुस निकालके ओस्ट्रोनॉमी मोन्यूमेंट पहुंचे इसे अब शहीद मीनार कहा जाता हैं. शहीद मीनार
मोन्यूमेंट से लोगो ने रैली निकाली. इतिहासकारो के अनुसार यह उस समय बंगाल की सबसे बडी मुस्लिम रैली थी. मुस्लिम लीग ने चार से पांच मुस्लिम वर्कर हर एक मस्जिद में तैनात किये थे. ताकी अगर कोई भी नमाजी नमाज पढने आये तो उसे हिंसा के लिए उसकाया जाये. इस तरह 2 बजे तक मुस्लिम लाठी, तलवार लेकर एक स्थान पर इकठ्ठा हुए. स्टार ऑफ़ इंडिया न्यूज पेपर के हिसाब से करीब एक लाख लोग इकट्ठा हुए और सुरावर्दी एवं अन्य नेताओ के भड़काऊ भाषण से मुस्लिमो ने कौमी दंगे शुरू कर दिये.
द ग्रेट किलिंग ऑफ़ कोलकाता
72 घंटो के भीतर 6000 लोग मारे गए. 20000 से ज्यादा लोग घायल हुए एवं 100000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए. इस दंगे को द ग्रेट किलिंग ऑफ़ कोलकाता भी कहा जाता हैं. यही नहीं 17 अगस्त 1946 को केसोराम कॉटन मिल के 300 मजदूरों को घरो से निकालकर काट दिया गया. यह सब उरिया मजदुर थे.
बंगाल में वॉयसरॉय रूल
इसके बाद 21 अगस्त 1946 के दिन बंगाल में वोइसरॉय रूल लगाकर तथा पांच सैन्य टुकड़ियों एवं चार गोरखा टुकड़ियों के सहारे बंगाल में 22 अगस्त को शांति प्रस्थापित की गयी. लेकिन इसके बाद बिहार, रावलपिंडी में भी दंगे हुए. उसके बाद लार्ड वेवेल ने बंगाल के गवर्नर फेड्रिक बोर्रोवस से रिपोर्ट मांगी और इस घटना पर गवर्नर के उदासीन रवैये तथा समय रहते कार्यवाही न करने की वजह से काफी आलोचना झेलनी पड़ी. धन्यवाद !