गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858

पृष्ठभूमि

आज हम गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858  की विस्तार से चर्चा करेंगे। साथी इसी एक्ट में हम क्वीन प्रोक्लेमेशन  के बारे में जानेंगे।  यह एक्ट 1857 के रिवोल्ट के बाद आया। अंग्रेजों ने 1857 के रिवॉल्ट को जैसे-तैसे सप्रेस  किया या दबाया. बाद में उन्होंने यह सोचा की रिवोल्ट ऑफ 1857 कैसे क्या हो गया? बाद में सामने यह बात निकलकर आई कि जो भारतीय जनता थी वे ं अंग्रेजों के शासन से काफी असंतुष्ट थी। चाहे वह आम आदमी हो किसान वर्ग हो व्यापारी वर्ग हो या फिर ईस्ट इंडिया कंपनी  का सिपाही हो.  या फिर प्रिंसली स्टेट के राजा हो ऐसे कई वर्गों के लोग इस इंडिया कंपनी के शासन से तथा रवैए से काफी असंतुष्ट थे। आम आदमी तो इसलिए असंतुष्ट थे क्योंकि उन्हें लगता था कि यह अंग्रेज उनका धर्म बदलना चाहते हैं। क्योंकि 1813 के बाद क्रिश्चियन मिशनरीज अपना धर्म का प्रचार जोरों शोरों से कर रहे थे। तथा उनके प्रभाव में आकर कई लोग क्रिश्चियन बन रहे थे। साथ ही आम आदमी को यह लग रहा था कि ईस्ट इंडिया कंपनी उनके कल्चर में याने की संस्कृति में हस्तक्षेप कर रही है। वैसे भी क्रिश्चियन मिशनरीज भारतीय धर्म तथा संस्कृति पर  उपहास करती थी तथा उसे नीचा समझती थी। साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी ने नए कानून ला रही थी। जैसे कि विडो रीमैरिज एक्ट याने की विधवा पुनर्विवाह कानून या फिर सती प्रथा को बंद करना हो। इस तरह के कानून से हिंदू वर्ग यानी कि आम जनता काफी नाराज थी.  साथ ही जो शिक्षा दी जा रही थी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वह अंग्रेजी में दी जा रही थी। इसके अलावा सिपाही वर्ग में काफी नाराजगी थी। वह ना तो दाढ़ी रख सकते थे। तथा उन्हें तिलक लगाने से भी रोका गया था। इसके अलावा उन्हें समुद्र पार करके विदेशों में युद्ध के लिए ले जाया जाता था। तथा उस समय मान्यता थी कि जो व्यक्ति समुद्र पार करता है उसका धर्म भ्रष्ट हो जाता है। और 857 का तत्कालीन कारण था कि जो एनफील्ड राइफल जो कारतूस  प्रयोग में लाई जाती थी थी वह सूअर तथा गाय के चमड़े से बनी हुई थी। जिस  वजह से मुसलमान तथा हिंदू दोनों वर्गोंके सिपाहियों  में काफी नाराजगी थी।  क्योंकि मुस्लिम के लिए सूअर अपवित्र था तो  वही हिंदुओं के लिए गाय पवित्र थी। तथा जब यह बात  हिंदू सिपाही तथा मुस्लिम सिपाहियों को पता चली तो वह वह आग बबूला हो गए। तथा यह तत्कालीन कारण था कि टीम 1857 रिवोल्ट का.

प्रिंसली स्टेट इसलिए नाराज थे क्योंकि जब वे अंग्रेजों से दोस्ती करते थे तब वे सब्सिडियरी एलायंस का उनके सामने प्रस्ताव रखते थे या फिर डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स लगाकर उनके प्रिंसली स्टेट को हड़प लेते थे। या फिर युद्ध करते रहते थे। यानी कि अगर प्रेसली स्टेट ईस्ट इंडिया कंपनी से दोस्ती करती है तो भी फसते  थे और ना करते थे तो भी फ़स जाते थे.

1857 रिवॉल्ट के बाद ब्रिटिश सरकार को यह बात समझ में आ गई कि ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में प्रशासन संभालना ठिक ढ़ंग से नहीं जम रहा है। तथा समय की मांग यही है कि ब्रिटिश सरकार को भारत में कमान संभाली पड़ेगी ताकि वे 1857 रिवोल्ट को फिर से एक बार भड़कने ना दे। परिणाम स्वरूप ब्रिटिश पार्लिमेंट याने की संसद में एक एक्ट लाया गया तथा उसका नाम था  एन एक्ट ऑफ बेटर गवर्नमेंट इन इंडिया। वर्ष 1858 में यह बिल ब्रिटिश संसद में पारित हो गया और इसको नाम दिया गया। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858.

इस एक्ट के प्रोविजन निम्नलिखित है।

इस एक्ट के तहत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर दिया गया। इसमें दूसरा काम यह हुआ कि जो पिट्स इंडिया एक्ट में  ड्यूल गवर्नमेंट की जो व्यवस्था थी उसे बर्खास्त कर दिया गया। बेसिकली पिट्स इंडिया एक्ट में दो बॉडी बनाई गई थी एक कोर्ट टॉप डायरेक्टर तथा बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल  कोर्ट ऑफ डायरेक्टर कमर्शियल जाने की व्यापारिक मामले संभालती थी तथा बोर्ड ऑफ कंट्रोल राजनैतिक यानी कि पॉलिटिकल मामले संभालती थी। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 में यह दोनों बॉडी को बर्खास्त करके सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को इंट्रोड्यूस किया गया। जाने कि इस एक्ट के तहत इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन की कंप्लीट जिम्मेदारी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की हो गई। सेक्रेटरी ऑफ स्टेट यह ब्रिटिश सरकार में एक  कैबिनेट मिनिस्टर होता था। तो पहला सेक्रेटरी ऑफ स्टेट बना लार्ड स्टालिन  इसके अलावा सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के पास एक 15 सदस्य बॉडी होती थी जो सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को एडमिनिस्ट्रेशन में मदद करती थी लेकिन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एक तरह से देखा जाए तो एक पॉलीटिशियन है जो ब्रिटेन के एक चुनी हुई सरकार में एक कैबिनेट मिनिस्टर होता था। तो इसकी मुख्य रूप से जिम्मेदारी यही है कि ब्रिटेन में रहा कर भारत के प्रशासन को संभाले इसलिए एक नई पोजीशन बनाई गई वॉयसरॉय ऑफ इंडिया जो इंडिया में रहेगा एजेंट ऑफ सेक्रेटरी ऑफ स्टेट लेकिन  इसके पहले भारत का पूरा प्रशासन जो था वह गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया संभालता था। लेकिन इस एक्ट के तहत अगर भारत में वॉयसरॉय तथा गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया यह दोनों पोजीशन होती है तो दोनों के बीच पावर को लेकर संघर्ष उत्पन्न हो सकता था इसलिए गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया को बर्खास्त करके एक मात्र बड़ी पोस्ट वायसराय ऑफ इंडिया बनायीं गयी. लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय ऑफ इंडिया बने।

रानी का जाहीरनामा

  इस एक्ट को अगस्त 1558 में पारित कर दिया गया था। लेकिन इसे लागू जो किया गया वह नवंबर के महीने में किया गया। तथा नवंबर के महीने में ही बताया गया कि इसमें किस तरह के प्रोविजन दी गई है। इस एक्ट में इतने सारे बदलाव किए गए थे कि लोग काफी कन्फ्यूज थे। यानी कि ईस्ट इंडिया कंपनी जाने वाली है। ब्रिटिश सरकार का रूल आने वाला है। और बहुत सी बातें जिससे लोग कंफ्यूज हो चुके थे। तथा उनके मन में काफी प्रश्न थी। उदाहरण के तौर पर जैसे कि एक सिपाही जो ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत काम करता था क्या उसकी नौकरी रहेगी या नहीं रहेगी? तथा प्रिंसली स्टेट में यह कंफ्यूजन थी कि 2 वर्ष पहले अगर ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ कोई ट्रीटी साइन की गई थी वह लागू रहेगी या नहीं रहेगी। इसलिए  गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 को लागू करने से पहले एक बहुत बड़ा दरबार सजाया गया यहां दरबार नवंबर के महीने में इलाहाबाद में लगाया गया। तथा इस दरबार में प्रिंसली स्टेट के राजाओं को तथा जमींदारों को बुलाया गया। इसके अलावा बहुत सारे लोगों को बुलाया गया। इस माध्यम से लोगों को बताया गया कि इस एक्ट को लागू किया जा रहा है। तथा लॉर्ड कैनिंग ने रानी के बेहल्फ़ में  में लोगों को एक्ट  के  प्रोविजन थे वह समझाया। इसी अनाउंसमेंट को क्वींस प्रोक्लेमेशन कहा जाता है?  कैनिंग ने आसान शब्दों में बताया कि ब्रिटिश गवर्नमेंट ने भारत को अपने छत्रछाया में ले लिया है। तथा लोगों को यह समझाया कि ब्रिटिश गवर्नमेंट के आने से उन्हें क्या फायदा हुआ है? लॉर्ड कैनिंग ने यहां बताया कि क्वीन विक्टोरिया आपको यह बताना चाहती है। कि अब सेठ डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स पॉलिसी को हटा लिया गया है। तथा यह प्रॉमिस किया गया कि अब से किसी भी नेटिव स्टेट को अनेक्स  नहीं किया जाएगा। अभी बताया गया कि आम भारतीय नागरिकों को प्रशासन में सरकारी नौकरी दी जाएंगील लेकिन उनके क्वालिफिकेशन के बेस पर और बिना किसी भेदभाव के। तथा जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आर्मी में थे उन्हें भारतीय  ब्रिटिश गवर्नमेंट के आर्मी में रख दिया जाएगा। लता यह सिपाही  भारतीय ब्रिटिश सरकार के हिस्सा माने जाएंगे। तरह सबको न्याय मिलेगा और ब्रिटिश सरकार या बात ध्यान में रखेंगे कि किसीके  धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बिल्कुल भी नहीं करेगी। यह था  गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858.

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