सिख समुदायों का नार्थ अमेरिका के की और माइग्रेशन.
इस आर्टिकल में हम गदर मूवमेंट याने की गदर आंदोलन के बारे में चर्चा करेंगे। असल में 1904 के आस-पास बहुत से भारतीय नॉर्थ अमेरिका के तरफ माइग्रेट कर रहे थे खासकर कैनेडा देश में. माइग्रेट करने वालों में अधिकतर लोग पंजाबी थे खासकर सिख समुदाय कैनेडा में माइग्रेट कर रहा था। एक बेहतर जिंदगी गुजारने के लिए बहुत से सिख कैनेडा रवाना हो रहे थे। लेकिन कनाडा पहुंचने पर उन्हें नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा। उनको लगा कि नस्लीय भेदभाव यहां पर उन्हें इसलिए झेलना पड़ रहा है क्योकि वे एक आजाद मुल्क से नहीं आते बल्कि वे एक गुलाम मुल्क के लोग हैं। यह दो लोग थे तारक नाथ दास एवं जीडी कुमार इन्होंने कनाडा में रहते हुए भारत को आजाद करने की मुहिम छेड़ दी। तारक नाथ दास ने अपना इंग्लिश जर्नल स्वदेश सेवक शुरू कर दिया तथा जीडी कुमार ने फ्री हिंदुस्तान। अन्य भारतीय जो कनाडा में रहते हुए रेसियल डिस्क्रिमिनेशन यानी कि नस्लीय भेदभाव का सामना कर रहे थे वे इनके जनरल्स को पढ़ते थे और उनसे काफी प्रभावित होते थे।
कनाडा में भारतीयों की राजनैतिक गतविधियां तथा अमेरिका में लाला हरदयाल के कार्य
समय बीतने के साथ भारतीय राष्ट्रवादियों की पॉलीटिकल एक्टिविटी कनाडा में शुरू होगी। इससे कनाडा सरकार थोड़ी सतर्क हो गई। उन्होंने तारक नाथ दास तथा जीडी कुमार को कनाडा से बाहर कर दिया। उसके बाद वे कनाडा से अमेरिका पहुंच गए तथा में अमेरिका की सीएटल में आ गए और सीएटल यह क्रांतिकारियों के लिए अड्डा बन गया। इसके अलावा वर्ष 1911 में घटना घटी वह यह थी की लाला हरदयाल भी अमेरिका आ गए। लाला हरदयाल अगर देखा जाए तो वह अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक लेक्चरर थे। लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य था कि भारत से अंग्रेजों को भगाना। लाला हरदयाल मानते थे कि अगर भारत से अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंकना है तो यह काम केवल ताकत से ही हो सकती है। यानी कि आर्म रेवोलुशन के माध्यम से. लाला हरदयाल ने अमेरिका में युगांतर नाम का सर्कुलर शुरू किया। युगांतर में उन्होंन 1912 में रासबिहारी बोस ने जो लॉर्ड हार्डिंग के काफिले पर बम अटैक किया उसका समर्थन किया था। असल में उन्होंने बम अटैक तब किया था जब लॉर्ड हार्डिंग ने बंगाल से राजधानी को शिफ्ट करके दिल्ली कर दिया था। लाला हरदयाल राज बिहारी बोस के इस काम को काफी सम्मान से देखते थे.
ग़दर पार्टी की स्थापना
लाला हरदयाल 1912 में एक संघटना बनाते हैं। पैसिफिक कोस्ट हिंदुस्तान एसोसिएशन, आगे चलकर यही संघटना गदर पार्टी के नाम से जानी गई. इस एसोसिएशन की एक वर्किंग कमेटी बनाएगी तथा इस वर्किंग कमेटी ने निर्णय लिया कि एक वीकली न्यूजपेपर शुरू किया जाएगा जिसका नाम होगा द गदर। गदर का मतलब होता है रिवोल्ट. गदर पार्टी का हेड क्वार्टर सेंट फ्रांसिस्को में बनाया गया। इस हेड क्वार्टर का नाम था युगांतर आश्रम एवं इसी के साथ गदर आंदोलन की शुरुआत हो गई। गदर पार्टी के नेताओं को गदर मिलिटेंट भी कहा जाता है। गदर मिलिटेंट जगह-जगह जाकर जैसे कि यूएसए एवं कनाडा में जाकर वहां के मिलो में काम कर रहे भारतीय मजदूरों को और भारतीय लोगो को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकत्रित कर रहे थे तथा वे लोग गदर आंदोलन से जुड़ रहे थे युगांतर आश्रम इनका अब घर बन चुका था।
इसके अलावा ग़दर नाम का एक साप्ताहिक एडिशन चलता था जिसके पहले पन्ने पर एक बहुत बड़ा आर्टिकल होता था। जिसकी हैडिंग होती थी ब्रिटिश सरकार का काला चिट्ठा। ब्रिटिश सरकार के काले कारनामे इसमें विस्तार से लिखे जाते थे। इसके अलावा इस अखबार में भारतीय क्रांतिकारीयो के संगठन जैसे कि युगांतर ग्रुप, अनुशीलन समिति कैसे देश की सेवा में लगे हैं इसमें यह बताया जाता था. इसके अलावा राष्ट्रवादी नेताओं के किस्से भी इस अखबार में छपते थे। मतलब कि इस अखबार में हर तरह का वहां मसाला था जिसे पढ़ने के बाद एक व्यक्ति की राष्ट्रवादी भावना आसानी से जग सकती थी। मजेदार बात यह है कि यह अख़बार नार्थ अमेरिका में ही नहीं नहीं बल्कि आफ्रीका , चाइना, मलेशिया यूरोप, जापान, पनामा, अर्जेंटीना, ब्राजील ईरान, अफगानिस्तान रूस यानी जहां जहां भारतीय रह रहे थे वहा यह अख़बार पहुंचाया जा रहा था। और लोग इससे जुड़ रहे थे। और कई युगान्तर आश्रम खुल चुके थे।ग़दर की कोपिया 10 लाख से ज्यादा छप रही थी.
1914 की घटनाये
अब हम 1914 की इवेंट की बात करते हैं। हुआ यूं कि लाला हरदयाल को अरेस्ट कर दिया गया। लेकिन बाद में उन्हें बेल पर छोड़ दिया गया। उसके लाला हरदयाल ने गदर मूवमेंट से नाता तोड़ दिया। गदर मूवमेंट कि उनकी जर्नी समाप्त होती है।
कोमागाटा मारु मूवमेंट
1914 में एक महत्वपूर्ण घटना घटी जिसने गदर मूवमेंट को भारत से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का एक और मौका दिया। यह इंसीडेंट कोमागाटा मारू घटना से जाना जाता है। असल में साउथ ईस्ट एशिया के लोग कनाडा में शिफ्ट होना चाहते थे ताकि वहा पे अच्छे से जिंदगी गुजर बसर कर सके। इसलिए बाबा गुरुदीप सिंह संधू ने जापान एक शिप किराए पर ली तथा इस शिप का नाम था कोमागाटा मारू। यह जर्नी शुरू हुई हांगकांग से। जिसमें 164 भारतीय पैसेंजर सवार हो गए। उसके बाद शीप पहुंची शंघाई में वहां पर भी कुछ भारतीय सवार हो गए उसके बाद यह जहाज जापानके एक स्थान पर पहुंचा फिर कोलकाता । अब जहाज में टोटल पैसेंजर की संख्या हो गई थी 376। तथा यह शीप पहुंची कनाडा के vancouver स्थान पर लेकिन वहां पर पोर्ट अथॉरिटी ने इस शिप को अंदर आने नहीं दिया गया। उसके बाद स्थानीय भारतीय लोग कोर्ट में गए, केस किया इसके बावजूद कनाडा की सरकार टस से मस नहीं हुई। इसके बाद यह शीप वापस चली गई लेकिन फिर से कोलकाता में वापस आई क्योकि हांगकांग शंघाई तथा जापान सरकार ने इन्हें वापस आने से मना कर दिया। बात यह थी कि अब इन पैसेंजर पर रिवॉल्यूशनरी आने के क्रांतिकारी होने का ठप्पा लग चुका था। जब वे कोलकाता पहुंचे तब इनकी हालत काफी चुकी थी। क्योकि लगातार दो-तीन महीने से जगह-जगह धक्का खा रहे थे। आखिर में कोलकाता पहुंचे ब्रिटिश सरकार ने भी बदतमीजी में कोई कमी नहीं छोड़ी। और उन्हें आदेश दिया कि पंजाब की ट्रेन तैयार है सब उतरो और उसमे बैठो. इस डिब्बे में 90% लोग सरदार थे इनको भयंकर गुस्सा आया तथा ब्रिटिश अथॉरिटी और पैसेंजर के बीच हाथापाई हो गई। इसमें 18 लोग मारे गए और 202 को कैद कर लिया गया बाकी के भाग गए।
ग़दर मिलिटेंट की प्रतिक्रिया और उनका खात्मा
कोमागाटा मारू की घटना सुनकर गदर मिलिटेंट का काफी खून खौल उठा। वही 1914 में फर्स्ट वर्ल्ड वॉर शुरू हो गया. ग़दर मिलिटेंट ने सोचा कि यह अच्छा मौका है अंग्रेज हुकूमत को मजा चखाने का इसलिए गदर मिलिटेंट यह आर्म रिवोल्ट करने के लिए भारत आते हैं। भारत पहुंचकर उन्होंने है राज बिहारी बोस को गदर मूवमेंट का नेता बनने को कहा। बिहारी बोस को पहले से खतरों से खेलने की आदत थी। कथा गदर मिलिटेंट रासबिहारी बोस के साथ अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने की रणनीति में जुट जाते हैं. लेकिन ब्रिटिश सरकार को इसकी खबर पहले से ही लग जाती है और एक के बाद एक गदर मिलिटेंट के नेताओं को पकड़ना शुरू कर दिया जाता है। कुछ को फांसी भी दी जाती है। राज बिहारी बोस इंडिया छोड़कर जापान।चले जाते हैं। वे वहा शादी भी कर लेते हैं। गदर मूवमेंट का कोई भी लीडर नहीं बच पाता 1916 आते-आते ब्रिटिश सरकार उन्हें पूरी तरह से कुचल देती है। यह थी कहानी ग़दर मूवमेंट की. धन्यवाद