खेड़ा में अकाल की स्थिति.
इस आर्टिकल में हम खेड़ा सत्याग्रह के बारे में पढ़ेंगे. खेड़ा सत्याग्रह 1918 में हुआ था। खेड़ा अहमदाबाद के नजदीक एक छोटा सा जिला है। लेकिन उस समय खेड़ा बॉम्बे प्रेसिडेंसी का पार्ट हुआ करता था। यहां के अधिकांश किसान पाटीदार समुदाय से थे। तथा पाटीदार समुदाय खेती-बाड़ी के लिए जाने जाते हैं। खेड़ा, खेती के लिए बहुत ही अच्छी जगह है। यहां की जमीने तमाकू तथा गन्ने के लिए उपजाऊ माने जाती है। लेकिन 1891 के बाद कुछ ऐसे अकाल और विपदा गुजरात में आई थी जिस वजह से खेड़ा की एग्रेरियन इकोनामी तहस-नहस हो गई थी। और उसके बाद किसान लगातार गरीब होते रहे एवं उनके भूखे मरने तक की नौबत आ गई। ऐसे में कई किसान खेती किसानी छोड़ दिहाड़ी मजदूर बन गए किंतु इन किसानों की परेशानियां यहां पर भी नहीं थमी बल्कि 1918 में एक बार फिर सूखा पड़ गया तथा प्लेग ने आग में घी का काम किया जिससे किसान की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी थी। उस समय 17000 लोग प्लेग के कारण मर चुके थे। उस समय खेड़ा के किसान काफी दयनीय स्थिति में थे।
अंग्रेजो ने टैक्स की दर में बढ़ोतरी की
इसके विपरीत अंग्रेज सरकार खेड़ा की जमीनों तथा कल्टीवेटेड क्रॉप की रिएसेसमेंट कर रही थी। तथा सरकार ने रिएसेसमेंट डाटा में पाया कि खेड़ा में बहुत ही बढ़िया कल्टीवेशन हुआ है तथा निष्कर्ष निकाला गया कि लगान को बढ़ाया जाएगा और अंग्रेजों ने टैक्स में 23% की वृद्धि कर दी। जब यह बात किसानों के कानों तक पहुंची तो उनके होश उड़ गए। सरकार के इस निर्णय का स्थानीय नेताओं ने भी विरोध किया। और उन्होंने कहा कि यह तो नाइंसाफी है। सूखे के चलते किसानों की फसलें पहले से ही बर्बाद हो चुकी है। प्लेग की वजह से लोग मर रहे हैं पुराना लगान तो उन्हें दिया नहीं जा रहा है और किसान बढ़ा हुआ लगान कहां से लाएंगे?
गुजरात सभा तथा सर्वे
इसलिए स्थानीय नेता और किसान समस्या लेकर गुजरात सभा में पहुंचे। गुजरात सभा के अध्यक्ष थे महात्मा गांधी। मगर गांधी जी उस समय अहमदाबाद मिल स्ट्राइक मैं व्यस्त थे। गुजरात सभा के सदस्यों ने गांधीजी को खेड़ा के प्रकरण के बारे में सूचना दी। उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल गुजरात सभा के जनरल सेक्रेटरी थे तथा वे गांधीजी के आग्रह पर गुजरात सभा में शामिल हुए थे. गांधीजी ने चिट्ठी लिखकर सरदार वल्लभ भाई पटेल को सूचित किया कि वे अहमदाबाद मिल मजदूरों के समस्या सुलझाए बगैर खेड़ा का मसला हाथ में नहीं ले सकते इसलिए गांधीजी ने सरदार पटेल को खेड़ा तथा आसपास के गांव का सर्वे करने को कहा तथा लोगों की समस्या सुनने को कहा। और सुझाव दिया कि एक पिटिशन सबमिट करो और ब्रिटिश सरकार से नए एसेसमेंट रेवेन्यू को सस्पेंड करने की प्रार्थना करो। गांधीजी के अन्य सहयोगी जैसे मोहनलाल पंड्या, नरहरी पारेख , अब्बास तैयबजी ने गांव गांव जाकर लोगों की शिकायतें तथा समस्याओं को डॉक्यूमेंटड किया। इसके अलावा किसानों को जो सूखे तथा प्लेग के कारण नुकसान हुआ उसके प्रमाण इकट्ठा किए ताकि अंग्रेजों को विश्वास दिलाया जा सके की खेड़ा के जो किसान हैं उनकी फसलें बर्बाद हो चुकी है और वे काफी दयनीय अवस्था में है तथा में टैक्स चुका नहीं पाएंगे।
सर्वे रिपोर्ट पर अंग्रेजो की प्रतिक्रया
खेड़ा के किसानों ने पिटीशन में अपने अंगूठे के निशान लगाएं. सर्वे की पूरी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पिटीशन तथा सर्वे रिपोर्ट अंग्रेज अधिकारियों के समक्ष पेश किया. तथा अंग्रेजों से निवेदन किया कि खेड़ा के किसानों की आर्थिक हालत काफी चिंताजनक है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पूरे प्रमाण के साथ उस पिटिशन में लिखा था की अकाल या सूखे की वजह से कुल क्षमता का केवल एक चौथाई उत्पादन हुआ है। ऐसे में ब्रिटिश लैंड रिवेन्यू कोर्ट भी कहता है की ऐसे स्थिति में किसानों से लगान न वसूला जाए। लेकिन ब्रिटिश अथॉरिटी ने उनकी एक न सुनी तथा उनके पिटिशन को रिजेक्ट कर दिया। जवाब में कहा कि हमने भी नया असेसमेंट करवाया है लेकिन हमारे रिपोर्ट के हिसाब से यहां की फसलें बर्बाद नहीं हुई है तथा एग्रीकल्चर प्रोडक्शन एक चौथाई से खेड़ा में ज्यादा हुआ है इसलिए टैक्स माफ करने का सवाल ही नहीं है और इस तरह से पिटिशन रिजेक्ट कर दिया गया।
गांधजी का सत्याग्रह का निर्णय
गांधीजी गुजरात मिल वर्कर की समस्या सुलझा कर खेड़ा में आ चुके थे। गांधीजी ने लोगों को बताया कि हमने ब्रिटिश सरकार को पेटीशन दिया था मगर वे नहीं माने। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही है तथा हम अन्याय के सामने घुटने कदापि नहीं टेकेंगे. और हम हमारी मांगे जारी रखेंगे और हम करेंगे सत्याग्रह। कोई भी किसान टैक्स बिल्कुल भी नहीं चुकाएगा. किसानों ने गांधीजी प्रश्न किया कि अगर हम उन्हें टैक्स नहीं चुकाएंगे तो अंग्रेज हमारी जमीन जप्त कर लेंगे तथा वे हमें जेल में डाल देंगे. गांधी जी कहते हैं कि “अंग्रेज आपके केवल शरीर को जेल में कैद कर सकते हैं लेकिन आपके आत्मा को कभी कैद नहीं कर सकते इसलिए जेल जाने से बिल्कुल भी मत घबराओ “इस वाक्य से किसानों में उत्साह की लहर दौड़ पड़ती है। गांधीजी कहते हैं यदि हमारी अंतरात्मा कह रही हैं कि, हम सही है तो हमने हमारा पैर बिल्कुल भी पीछे खींचना नहीं चाहिए तथा अंग्रेजों को झुकना ही पढ़ेगा. इसके अलावा गांधी जी ने लोगों को चेताया कि भले ही अंग्रेज हमारी जमीन छीन ले हमारे ऊपर लाठी बरसाए या हमें जेल में डाल दें। लेकिन हम लोग बिल्कुल भी हिंसा नहीं करेंगे बल्कि हम अहिंसा के मार्ग पर चलेंगे। गांधीजी की बातों पर किसानों ने विश्वास किया और उनके सत्याग्रह में शामिल हो गए इस तरह खेड़ा सत्याग्रह शुरू हो गया.
अंग्रेजो ने दो वर्ष का टैक्स किया माफ़.
बदले में अंग्रेजों ने किसानों की जमीने तथा जानवरों को छीन लिया तथा लोगों को जेल में डाला गया और उन पर लाठियां भी बरसाई गई लेकिन खेड़ा के किसानों ने हिंसा नहीं की और अंग्रेजों का जुल्म बर्दाश्त करते रहे। खेड़ा सत्याग्रह शांति के मार्ग पर चलाया गया। हालांकि कुछ अमीर किसान तथा जमींदारों ने खेड़ा सत्याग्रह का समर्थन नहीं किया और उसमें शामिल भी नहीं हुए तथा अंग्रेजों को टैक्स भी चुकाया। लेकिन खेड़ा की बहुल आबादी गांधी जी के साथ खड़ी थी। अंत में ब्रिटिश सरकार को सत्याग्रह के आगे झुकना पड़ा। अंग्रेज सरकार ने निर्णय लिया कि सक्षम किसान ही टैक्स चुकाएंगे तथा जो किसान गरीब है और टैक्स चुकाने में असमर्थ है उन किसानो का वर्ष 1918 तथा 1919 यानी कि 2 वर्ष का टैक्स माफ कर दिया गया। इसके साथ एसेसमेंट रिपोर्ट में जो टैक्स वृद्धि की गई है उसे घटाया जाएगा। तथा किसान की जमीन वापस की जाएंगी। इस प्रकार सत्याग्रह के मार्ग से खेड़ा के किसानों की जीत हुई। धन्यवाद!