द्वितीय विश्व युद्ध के शुरुआत में जापान का वर्चस्व
आज हम क्रिप्स मिशन 1942 के बारे में पढ़ेंगे. द्वितीय विश्वयुद्ध के शुरुआती दौर में ब्रिटेन की हालत बहुत ही खराब थी. साउथ ईस्ट एशिया में जहां-जहां ब्रिटेन ने अपनी कॉलोनी बनाई थी। वहां जापानी सेना ने एक के बाद एक आक्रमण कर दिया था। 8 दिसंबर 1941 को जापानी सेना ने मलेयन पेनिनसुला से ब्रिटिश टुकड़ी को बाहर खदेड़ दिया उसके बाद सिंगापुर में एयरक्राफ्ट से बम गिरा दिया गया उसके बाद हांगकांग तथा फिलीपींस में भी आक्रमण कर दिया।
उस समय फिलीपींस में भी ब्रिटिश की कॉलोनी हुआ करती थी फिलीपींस के निकट ही हांगकांग आता है और उसके बाद मलाया पेनिनसुला भी आता है इसी के टिप पर हैं सिंगापूर. अब जापानी सेना भारत से बहुत दूर नहीं थी इसके अलावा द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ब्रिटेन के साथ खड़ा था उसके पर्ल हार्बर पर जापान ने आक्रमण कर दिया। इस घटना ने अमेरिका तथा फ्रैंकलीन रुजवेल्ट जो कि अमेरिका के राष्ट्रपति थे उन को हिला कर रख दिया। ब्रिटेन की हालत द्वितीय विश्वयुद्ध में लगातार खराब होती जा रही थी साउथ ईस्ट एशिया में ब्रिटेन जापान से अपनी बहुतसी कॉलोनी हार चुका था इसके बाद जापान की नजर थी भारत पर। अब प्रश्न यह उठता है कि इन साउथ ईस्ट एशियन देशों में ऐसी कौन सी चीज थी जिससे जापान ब्रिटेन को हरा पाया बात यह निकल कर सामने है कि इन सब कॉलोनी में ब्रिटेन के खिलाफ एंटी कॉलोनीजम सेंटीमेंट है। मतलब इन देशों के लोग ब्रिटेन को युद्ध में बिल्कुल भी साथ नहीं दे रहे थे.
स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स का भारत में आगमन
भारत में भी अंग्रेजो के विरुद्ध भावनाएं थी। भारत में गांधीजी के लीडरशिप में व्यक्तिगत सत्याग्रह हो रहा था। इसलिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल नहीं चाहते थे कि जापान ब्रिटेन से इंडिया भी छीन ले तथा जापान यह मकसद पूरा ना कर सके इसके लिए उन्हें भारतीयों की समर्थन की जरूरत थी। अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट में चर्चिल को कहां रहे थे कि कुछ भी करके भारतीयों का समर्थन हासिल करो। लेकिन यह बात तो तय थी की भारत का समर्थन आसानी से नहीं मिल सकता था ब्रिटेन को भी कुछ प्रयास करने होंगे जो भारत के पक्ष में झुकते हो और उसके लिए हितकारक हो इसलिए ब्रिटेन ने 1942 मार्च में लार्ड प्रिवीसी सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स को एक प्रस्ताव के साथ भारत भेजा. इसी घटना को क्रिप्स मिशन 1942 भी कहा जाता हैं.
क्रिप्स मिशन में प्रस्तावित मुद्दे.
इसमें पहला प्रस्ताव रखा गया था डोमिनियन स्टेटस से संबधित, यहाँ पर कहा गया युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटिश सरकार भारत को डोमिनियन स्टेटस देने के लिए तैयार हैं वह भी आतंरिक एवं बाह्य स्वायत्ता के साथ.
इसके अलावा क्रिप्स मिशन ने प्रस्ताव रखा की युद्ध समाप्त होने के बाद भारत का सविंधान बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया जायेगा. और इस सभा के कुछ सदस्य प्रांतीय विधानसभा से चुनकर आएंगे एवं बचे हुए सदस्य प्रिंस्ली स्टेट से से होंगे जिन्हे उस रिसायतों के राजा द्वारा नामांकित किया जायेगा. कहने का मतलब भारत का संविधान बनाने की जिम्मेदारी केवल भारतीयों की दी जाएगी.
इसी प्रस्ताव में क्रिप्स मिशन ने राइट तो सक्सीड का क्लॉज रखा इसका मतलब जो भी रिसायत भारतीय संविधान सभा में नहीं शामिल होती हैं वह रिसायत अपने प्रान्त के लिए अलग विशेष संविधान बना सकता हैं एवं ऐसे रिसायतों को ब्रिटिश सरकार अपने कामनवेल्थ याने की राष्ट्रमंडल में शामिल कर लेंगी.
भारतीयों की क्रिप्स मिशन पर प्रतिक्रिया.
कांग्रेस पार्टी क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव से पुरी तरह सहमत नहीं थी क्योंकि यहाँ पर सारे वादे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद पुरे किये जायेगे. गांधीजी ने क्रिप्स मिशन देखकर कहा यह तो एक पोस्ट डेटेड चेक जैसा हैं. कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन को अस्वीकार कर दिया क्योंकि क्रिप्स मिशन में डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव रखा गया था जबकि कांग्रेस को लाहौर सेशन के बाद से पूर्ण स्वराज्य चाहिए था एवं वे इसी लक्ष्य को आखो में संजोये ब्रिटिश सरकार के साथ we लगातार संघर्ष कर रहे थे.
और कांग्रेस को डोमिनियन स्टेटस नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज्य चाहिए था.
कांग्रेस एक और शिकायत थी की रिसायतों से सदस्य चुनाव के जरिये नहीं बल्कि राजा द्वारा नियुक्त करके आएंगे.
रिसायतों एवं प्रांतो के लिए अलग संविधान की बात भी कांग्रेस को पसंद नहीं आयी क्योंकि एक प्रकार से यह प्रस्ताव देश बनाने से पहले उसके टुकड़े कर रहा था. एक प्रकार से यह पार्टीशन का ब्लू प्रिंट था तो इन सबके चलते कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन ठुकरा दिया.
मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया
क्रिप्स मिशन से मुस्लिम लीग की पूरी तरह सहमत नहीं थी। क्योंकि मुस्लिम लीग अलग देश चाहती थी यानी कि पाकिस्तान। क्रिप्स मिशन में पाकिस्तान बनाने का जिक्र भी नहीं था। एक प्रकार से क्रिप्स मिशन तो कांग्रेस के दृष्टिकोण से पार्टीशन का ब्लूप्रिंट था। जब हम यह कह रहे हैं कि मुस्लिम लीग को पाकिस्तान चाहिए था और इसकी बात यहां नहीं हो रही है।
मामला एकदम सिंपल है कि कमीशन में यह बात कहि गयी थी कि कोई भी एक्जिस्टेंस प्रोविंस और एक्सिस्टेंस प्रिंसली स्टेट जिसे भारत में शामिल नहीं होना है वह अपनी अलग देश बना सकता है। और अलग संविधान भी बना सकता है लेकिन यह फैसिलिटी केवल एक्जिस्टेंस प्रोविंस और एक्जिस्टेंस प्रिंसली स्टेट को ही थी। पाकिस्तान तो तब तक था ही नहीं।
क्रिप्स मिशन में ऐसी कोई प्रोविजन नहीं थी कि भारत के सारे मुस्लिम या फिर कोई विशेष कम्युनिटी जो भारत में शामिल नहीं होना चाहते हैं वह अलग देश बना सकते हैं।
अंत मैं भारतीयों को क्रिप्स मिशन पसंद नहीं आया क्रिप्स मिशन का प्रस्ताव असफल हो चुका था उसके बाद 12 अप्रैल 1942 को सर क्रिप्स वापस ब्रिटेन में लौट गए। यह थी कहानी क्रिप्स मिशन की धन्यवाद।