कैबिनेट मिशन योजना 1946

आज के आर्टिकल में हम कैबिनेट मिशन योजना 1946 के बारे में पढ़ेंगे.

द्वितीय विश्व युद्ध का समापन

ब्रिटेन में 1945 में कंजर्वेटिव पार्टी जा चुकि थी तथा लेबर पार्टी सत्तासीन हो गयी थी. नए प्रधानमंत्री थे क्लेमण्ट एटली. 2 सितम्बर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चूका था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने भारत पर ध्यान देना शुरू कर दिया था. क्लेमण्ट एटली भारत को जल्द से जल्द आज़ादी देने के पक्ष में थे. इसी खातिर प्रधानमंत्री एटली ने तीन कैबिनेट मंत्रियो का समूह भारत भेजा. ये तीन लोग थे सर पेथिक लॉरेंस, सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स, एवी अलेक्सेंडर सब कैबिनेट मिनिस्टर थे इसलिए इस मिशन को कैबिनेट मिशन कहा जाता हैं. उस समय लॉरेन्स भारत के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट थे.

मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस के बिच मतभेद.

कैबिनेट मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वतंत्र सवैंधानिक सभा की स्थापना एवं एक अंतरिम सरकार की स्थापना करना था. भारत में पहुंचकर कैबिनेट मिशन ने कई वषों से चले आ रहे पोलिटिकल डेडलॉक को समाप्त करने की कोशिश करती हैं. यह पोलिटिकल डेडलॉक मुस्लिम लीग को अलग पाकिस्तान और कांग्रेस को अखंड भारत को लेकर था. कैबिनेट मिशन हर संभव प्रयास कर रही थी की की इनकी राजनैतिक मतभेद दूर हो जाये. इसी समय सर लॉरेंस एवं गांधीजी की फोटो खींची थी तथा वही तस्वीर आज हमारे भारतीय नोट में प्रिंट की गयी हैं. मतभेद ख़त्म करने के लिए कैबिनेट मिशन तथा मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस के बिच चर्चा हुयी फिर भी मतभेद समाप्त नहीं हुए.

मिशन की सिफारिशें.

उसके बाद कैबिनेट मिशन ने स्वयं 16 मार्च 1946 को कुछ सिफारिशें की. इन सिफारिशों में अलग पाकिस्तान की मांग को सिरे से ख़ारिज कर दिया.इसके अलावा कम्युनल रिप्रजेंटेशन को नकार दिया.कैबिनेट मिशन ने मुख्य रूप से तीन सिफारिशें की.

  • पहला प्रांतो के ग्रुपिंग को लेकर.
  • दूसरी सिफारिश थी प्रिस्ली स्टेट को लेकर,
  • तीसरी सिफारिश थी सविंधान सभा की स्थापना.

प्रांतीय ग्रुपिंग

कैबिनेट मिशन ने प्रान्त को A, B एवं C में विभाजित किया.
A ग्रुप में मद्रास बॉम्बे,सेंट्रल प्रोविंस,ओडिसा बिहार को रखा गया.
B ग्रुप में सिंध, पंजाब, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस और बलूचिस्तान रखा गया.

C ग्रुप में आसाम और बंगाल को रखा गया. विश्लेषण करने के बाद साफ दिखाई देता हैं की B एवं C ग्रुप मुस्लिम बहुल क्षेत्र थे तथा A सेक्शन हिन्दू बहुल क्षेत्र था. कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार सभी प्रान्त अपना खुदका सविंधान बनायेगे उसके बाद हर एक प्रोविंस अपने ग्रुप का सविंधान बनायेगे और सभी ग्रुप मिलकर भारत का सविंधान बनायेगे. इसका मतलब मिशन ने 3 टियर फेडरेशन का प्रस्ताव रखा जहां प्रॉविन्सेस, ग्रुप तथा देश का सेपरेट सविंधान बनायेगे. इसके तहत केंद्र को सिमित शक्तिया दी गयी थी.

केंद्र केवल वित्त, सुरक्षा तथा विदेश मामले संभालेगा बाकि सभी शक्तिया प्रान्त को दी गयी. रेस्यूड़िआरी शक्तिया भी प्रान्त को देदी गयी.

कैबिनेट प्रस्ताव में, प्रांतो को पांच वर्षो बाद अपना ग्रुप बदलने की भी स्वतंत्रता दी गयी.

इतनाही नहीं प्रान्त को यह अधिकार दिया गया की, वो 10 वर्ष बाद ग्रुप के सविंधान के बदलाव की मांग कर सकता हैं.

प्रिंसली स्टेट से संबधित सिफारिशें.

कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव के तहत प्रिंसली स्टेट को रेसिडुअरी शक्तिया दी गयी एवं ब्रिटिश परमाउंटसी में छूट दी गयी इसके तहत उन्हें कहा गया की या तो वे भारतीय यूनियन में शामिल हो जाये या तो ब्रिटिश सरकार से कोई समझौता हस्ताक्षर कर ले.

कैबिनेट मिशन की तीसरी सिफारिश सविंधान सभा को लेकर थी. इसके तहत सविंधान सभा के सदस्य प्रांतो के लेजिस्लेटिव असेम्ब्ली से चुने जायेगे. और कुछ सदस्य प्रिंसली स्टेट से नॉमिनेट किये जायेंगे एवं नॉमिनेशन का अधिकार प्रिंसली स्टेट के राजा को था. प्रांतो की कुल सदस्य संख्या 293 रखी गयी जबकि प्रिंसली स्टेट की संख्या 93 थी. यह सविंधान सभा भारत का संविधान बनाएगी तथा आगे चलकर यही संविधान सभा अंतरिम सरकार के रूप कामकाज संभालेंगी.

मुस्लिम लीग की स्वीकृति.

आशंका थी की जिन्ना हर बार की तरह कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों पर पानी फेर देंगे किन्तु जिन्ना ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया क्योंकि जिन्ना को पहले से बड़ा पाकिस्तान बनते दिख रहा था. क्योंकि सेक्शन B और सेक्शन C मुस्लिम बहुल क्षेत्र था. इन सेक्शन में पंजाब और बंगाल भी था. माना जा रहा था की अगर पाकिस्तान अलग बनता हैं तो आधा बंगाल और पंजाब भारत में रहेगा आधा पाकिस्तान में चला जायेगा. उसकी योजना थी की भविष्य में 5 या 10 साल वाली योजना का इस्तेमाल करके वो इन प्रदेशो को अपने अधीन कर लेगा. 10 जून 1946 को मुस्लिम लीग प्रस्ताव अपनी स्वीकृति दी.

कांग्रेस की स्वीकृति

कांग्रेस इस बात से सहमत थी की मिशन ने अलग पाकिस्तान के मांग को ख़ारिज कर दिया. लेकिन नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में आसाम की सरकार थी ऐसे में सभी प्रोविंस को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए की या तो ग्रुप में शामिल होइये या मत होइए. यह ग्रुप कम्पल्सरी नहीं होने चाहिए. जिन्ना इस बात से असहमत हो गए और कहा इस प्रोविजन से छेड़ छाड नहीं होना चाहिए. दोनों में असहमति थी.

बाद में मामला कैबिनेट मिशन के पास जाता हैं और कैबिनेट मिशन फैसला कांग्रेस के पक्ष में सुनाती हैं. मुस्लिम लीग नाराज हो जाती हैं और मुस्लिम लीग कैबिनेट मिशन को पहले स्वीकार कर फिर अस्वीकार कर देती हैं.

कांग्रेस भी कैबिनेट मिशन को अस्वीकार कर देती हैं क्योंकि मिशन ने बहुत ही कमजोर केंद्र सरकार का प्रस्ताव रखा था. पुनः विचार करने के बाद कांग्रेस सोचती हैं कैबिनेट प्रस्ताव अब तक का बेहतरीन प्रस्ताव हैं क्योंकि इसमें किसी प्रकार का विभाजन का प्रस्ताव नहीं हैं. इसके अलावा सेपरेट इलेक्टोरेट की बात नहीं हैं इसलिए अगस्त महीने में 1946 को कांग्रेस ने अपनी मंजूरी कैबिनेट मिशन योजना को देती हैं. अंतरिम सरकार की तैयारी प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद होने लगती हैं.

This Post Has 5 Comments

  1. Sir please cabinate mission plan ka English me bhi notes liye please sir

  2. Sir we want the notes in english plz

  3. Thank you sir

  4. Yes, sir please provide us the notes of this topic in English

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