कांग्रेस गठन के पहले की क्षेत्रीय पार्टिया.
आज हम इंडियन नेशनल कांग्रेस के गठन के बारे में पढ़ेंगे लेकिन इंडियन नेशनल कांग्रेस के गठन के पहले कई पार्टियां थी लेकिन वह रीजनल पार्टिया थी. जैसे कि बंगाभाषा प्रकाशक सभा, लैंडहोल्डर्स सोसायटी, जमीनदारी एसोसिएशन, ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी, बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी, ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन, डेक्कन एसोसिएशन, बॉम्बे एसोसिएशन, इंडिया एसोसिएशन, पुणे सार्वजनिक सभा, इंडियन लीग, इंडियन एसोसिएशन, मद्रास महाजन सभा, बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन यह सब पार्टियां रीजनल लेवल पर थी। यह सब पार्टियां राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में स्थापित हुई थी लेकिन इसमें से एक भी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में आगे नहीं आ पायी क्योंकि यह सब पार्टियां अपने रीजनल प्रॉब्लम में ही उलझ कर रह गई।
इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की वजह.
ब्रिटिश गवर्नमेंट एक के बाद एक कठोर कानून पारित कर रही थी तथा नस्लीय भेदभाव भी उस समय चरम सीमा पर थी परिणाम स्वरूप देश में गुस्सा बढ़ रहा था। इस वजह से देश मैं एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की जरूरत महसूस हो रही थी। ताकि वह पार्टी अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठा सके। ब्रिटिश सरकार ने ऐसे तीन जन विरोधी कानून पारित किए थे जिस वजह से राष्ट्रीय पार्टी का स्थापना होना निश्चित था। पहला जन विरोधी कानून था वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878, इल्बर्ट बिल 1884 तथा तीसरा आर्म एक्ट 1878 इन तीनों एक्ट ने आग में घी का काम किया था. जवाब में भारतीय बुद्धिजीवियों द्वारा इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की गई। वर्नाक्यूलर एक्ट तथा इल्बर्ट बिल के बारे में जानकारी पिछले आर्टिकल में दी गई है।
इंडियन नेशनल कांग्रेस के संस्थापक.
अब हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इंडियन नेशनल कांग्रेस का फाउंडर यानी संस्थापक कौन था? यह बात हैरान कर देने वाली है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना किसी भारतीय के हाथों से नहीं हुई बल्कि एक अंग्रेज अधिकारी द्वारा हुई जिसका नाम था एलन ह्यूम. एलन ह्यूम ने सभी भारतीय बुद्धिजीवियों को एक जगह इकट्ठा किया। तथा उनके सामने इंडियन नेशनल यूनियन की गठन का प्रस्ताव रखा। बाद में आपसे सहमति से इंडियन नेशनल यूनियन की स्थापना हुई। एलन ह्यूम एक रिटायर्ड ब्रिटिश सिविल सर्वेंट था। इसलिए इस तरह की ऑर्गनाइजेशन पर सवाल उठने लाजमी थे। इसलिए कांग्रेस किस उद्देश्य और क्यों बनाई गई इसके लिए दो थ्योरी हैं पहली है नेशनलिस्ट दूसरी है सेफ्टी वाल्व थ्योरी।
नेशनलिस्ट थ्योरी
अब तक हमने जो भी चर्चा की वह बेसिकली नेशनल थ्योरी हैं. नेशनल थ्योरी यह कहती है कि जो केवल एक रीजन की बात ना करें बल्कि पूरे राष्ट्र की बात करें। एक नेशनल पार्टी बनकर अंग्रेजों की उन्हीं की भाषा में लड़े। नेशनलिस्ट इस थ्योरी को सपोर्ट करते हुए जीके गोखले ने कहा ” अगर कोई ब्रिटिशर्स इस ऑर्गेनाइजेशन को स्थापित नहीं करता तो अंग्रेज इस पार्टी को समाप्त कर देतेI इसलिए बुद्धिजीवी वर्ग ने एलेन ह्यूम की मदद से नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की।
सेफ्टी वाल्व थ्योरी
यह थ्योरी मजेदार है जिसे सेफ्टी वाल्व थ्योरी से जाना जाता है। जैसे कि प्रेशर कुकर में एक वाल्व होता हैं जिसे हिंदी में सीटी भी बोलते हैं। इसका काम होता है कि जब भी प्रेशर कुकर में स्टीम का प्रेशर बढ़ जाये तब सिटी ऊपर उठ जाए और कुकर में जो एक्स्ट्रा स्टीम है वह बाहर निकल जाए ताकि कुकर का प्रेशर नॉर्मल हो जाएगा। प्रेशर निकलना इसलिए भी जरूरी है कि अगर स्टीम ज्यादा हो गई और वह स्टीम बाहर नहीं निकली तो कुकर फट सकता है। जब प्रेशर बढ़ता है तो कूकर सिटी के माध्यम से यह भी बताता है कि कुकर में प्रेशर बढ़ रहा है और वह निकलना जरूरी है अब हम यही कुकर की कहानी वह इंडियन नेशनल कांग्रेस की गठन को जोड़कर देखते हैं।
लॉर्ड डफरिन यह 1884 से लेकर 1888 तक भारत के वोइसरॉय रहे तथा वे इंडियन नेशनल कांग्रेस से यह उम्मीद रख रहे थे कि जब भी ग्रास रूट लेवल पर याने की धरातल पर लोगों का गुस्सा उमड़ पड़े तब इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेता उन गुस्सैल लोगों की बात सुने तथा उन्हें शांत कर दे। तथा वे लोग उन लोगों को शांत ना कर पाए तो उनकी बात ब्रिटिशर्स तक पहुंचा दें इस समय रहते ब्रिटिशर्स लोगों के गुस्से को शांत कर दें तथा 1857 जैसे उठाव की पुनरावृत्ति होने से वे बच जाए। इसके अलावा इंडियन नेशनल कांग्रेस ब्रिटिश सरकार से शांतिपूर्ण तरीके से लड़ती रहे ताकि जनता को कहीं ना कहीं यह आशा बनी रहे कि इंडियन नेशनल कांग्रेस नाम की संगठना ब्रिटिशर्स के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं तथा जनहित के मुद्दे उठा रही है। तथा लोग अपने कामों में लगे रहे और सोचते रहे कि भाई आज नहीं तो कल उनका काम हो ही जाएगा क्योकि कांग्रेस उनके साथ खड़ी हैं तथा उनसे जुड़े मुद्दे समस्याएं अंग्रेजो तक पहोचा रही हैं.
इंडियन नेशनल कांग्रेस का गठन तथा पहली बैठक.
1884 में एलन ह्यूम ने मद्रास में एक मीटिंग बुलाई तथा इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि एक राष्ट्रीय स्तर की एक ऑर्गेनाइजेशन बनाते हैं। जिसका नाम होगा इंडियन नेशनल यूनियन उस समय इंडियन नेशनल यूनियन को बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय एक जगह इकट्ठा हो और ब्रिटिशर्स तथा भारतीय बुद्धिजीवियों के बीच एक डायलॉग शुरू हो जाए। इन लोगों ने सोचा कि यह वर्ष तो निकल चुका है। अगले वर्ष के आखिरी यानी कि दिसंबर महीने में जितने भी देश के बुद्धिजीवी और पढ़े लिखे लोग हैं वह एक जगह जमा होगे और राष्ट्रिय पार्टी का गठन करेंगे तथा सभा भराने का स्थान चुना गया पुणे एवं वहीं पर आगे की स्ट्रेटजी की चर्चा की जाएगी लेकिन उस समय पुणे में कॉलरा याने की की हैजा फैला हुआ था। इसलिए पहला अधिवेशन मुंबई में कराया गया तथा स्थान था गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय मुंबई. इसके लिए ह्यूम ने डफरिन से पहले से ही अनुमति ले ली थी। इसका मतलब यह निकलता है कि लॉर्ड डफरिन को यह सब चीजों के बारे में पहले से पता था। कांग्रेस के पहले अधिवेशन में कुल 72 लोग पहुंचे इसमें एक भी महिला उपस्थित नहीं थी सारे पुरुष ही थे। पुरुषों में सभी अधिकतर lawyer थे. सबसे पहले एलेन ने बताया कि यहां पर क्यों एकत्रित हुए हैं? इंडियन नेशनल कांग्रेस का ऑब्जेक्टिव जाने की उद्देश्य क्या है? इस बारे में चर्चा की गई. इसके अलावा इंडियन नेशनल कांग्रेस के कार्य करने के कुछ रूल बनाए गए। इसमें इस बात का निर्णय लिया गया कि कांग्रेस का अधिवेशन प्रत्येक वर्ष दिसंबर में लिया जाएगा। तथा हर वर्ष एक नया प्रेसिडेंट चुनाव द्वारा इलेक्ट किया जाएगा। तथा हर वर्ष राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। इन चर्चाओं के आधार पर कुछ ठराव यानी कि रेजोलुशन पास किए जाएंगे। चर्चा किए गए मुद्दों पर कांग्रेस, ब्रिटिश सरकार से उन मुद्दों को सुलझाने की गुजारिश करेगी। इंडियन नेशनल कांग्रेस से अपनी मांगे मनवाने के लिए पीपीपी मॉडल का स्वीकार किया। मतलब प्रेयर पेटीशन तथा प्रोटेस्ट। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने शुरुआत में पीपीपी मॉडल का इसलिए स्वीकार किया क्योंकि उन्हें अंग्रेजों पर पूरा भरोसा था। और उन्हें यह लगता था कि अंग्रेज सरकार उनकी बात जरूर मानेगी। कांग्रेस के सदस्यों को अंग्रेजों पर पूरी तरीके से निष्ठा थी। खून -खराबे की कोई जरूरत नहीं बातचीत से मामला सुलझ जाएगा।
कांग्रेस के पहले सेशन के जो प्रेसिडेंट थे वह थे व्योमेश चंद्र बनर्जी। उस समय WC बनर्जी एक फेमस यानी की सुप्रसिद्ध लॉयर यानी कि वकील थे।
एलन ह्यूम ने पार्टी का नाम इंडियन नेशनल यूनियन रखा था लेकिन बाद मैं दादा भाई नौरोजी ने इसका नाम बदलकर इंडियन नेशनल कांग्रेस रखा।
इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अपने पहले सेशन में 9 ठराव यानी कि 9 रेजोल्यूशन पारित किए। इसमें से तीन महत्वपूर्ण रिजोलुशन हम लोग यहां पर देखेंगे।
पहला था मिलिट्री एक्सपेंडिचर को रिड्यूस करना। इंडियन नेशनल कांग्रेस को लगता था कि ब्रिटिश सरकार मिल्ट्री पर बहुत ज्यादा खर्चा कर रही है, इसकी कुछ खास जरूरत भी नहीं है। तथा इससे देश को काफी नुकसान भी हो रहा है।
दूसरा रिवॉल्यूशन था इंडियन सिविल सर्विस के बारे में।
इंडियन नेशनल कांग्रेस चाहती थी कि इंडियन सिविल सर्विस के जो भी एग्जाम है वह भारत में कराया जाए क्योंकि उस समय यह एग्जाम लंदन में हुआ करती थी और सर्वसामान्य व्यक्ति इस एग्जाम देने के लिए लंदन नहीं जा सकता था।
कांग्रेस का तीसरा महत्वपूर्ण रिवॉल्यूशन था कि तीन जगह नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस, सिंध तथा अवध में लेजिसलेटिव काउंसिल बनाई जाए।
जैसे कि हमें पता था कि लॉर्ड डफरिन को इंडियन नेशनल कांग्रेस की सभी गतिविधियों की खबर होती थी। इन सब चीजों को शुरुआत में वह एकदम न्यूट्रल होकर याने की तटस्थ होकर देख रहा था। लेकिन जब यह 9 रिवॉल्यूशन उसके पास पहुंचे तो वह आग बबूला हो गया। तथा उसने कहा कि यह इंडियन नेशनल कांग्रेस पूरे भारतीयों को रिप्रेजेंट नहीं करती. सत्तर अस्सी लोग पूरे देश को रिप्रेजेंट्स नहीं कर सकते। लॉर्ड डफरिन ने इंडियन नेशनल कांग्रेस को एक माइक्रोस्कोपिक पार्टी बताकर रिजेक्ट कर दिया। यह थी इंडियन नेशनल कांग्रेस की गठन की जानकारी जो हमने इस आर्टिकल में पढ़ी. धन्यवाद!